AIIMS Gorakhpur: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए शहर का पहला थेरेप्यूटिक प्लाज्मा एक्सचेंज (टीपीई) सफलतापूर्वक किया है। यह उपचार 68 वर्षीय महिला मरीज पर किया गया, जो एंटी-ल्यूसीन-रिच ग्लियोमा इनएक्टिवेटेड 1 (LGI1) एन्सेफलाइटिस नामक एक दुर्लभ ऑटोइम्यून बीमारी से पीड़ित थीं। इस बीमारी के कारण उन्हें दौरे पड़ते थे और उनकी मानसिक क्षमता में गिरावट आ रही थी।
मरीज का इलाज डॉ. बृजेश (सहायक प्रोफेसर, मेडिसिन) और डॉ. आशुतोष तिवारी (सहायक प्रोफेसर, न्यूरोलॉजी) की देखरेख में चल रहा था। शुरुआती दौर में उन्हें स्टेरॉयड थेरेपी दी गई, लेकिन सुधार न होने पर चिकित्सकों ने टीपीई करने का निर्णय लिया।
अफेरेसिस मशीन – स्पेक्ट्रा ऑप्टिया के जरिए डॉ. सौरभ मूर्ति ने यह प्रक्रिया 59 मिनट में पूरी की। इस दौरान डॉ. समर्थ, डॉ. सौरभ और अनुभवी नर्सिंग स्टाफ भी मौजूद रहे। सफल उपचार के बाद मरीज की हालत में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है।
एम्स गोरखपुर की कार्यकारी निदेशक प्रो. विभा दत्ता ने इस उपलब्धि की सराहना करते हुए चिकित्सा टीम को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि एम्स गोरखपुर लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है और मरीजों को सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
अब इस तरह की जटिल और दुर्लभ बीमारियों का इलाज शहर में भी संभव हो सकेगा, जिससे मरीजों को उच्चस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं उनके अपने क्षेत्र में ही मिल सकेंगी। टीपीई अन्य इम्यूनोलोजिकल बीमारियों जैसे गिलियन बैरी सिंड्रोम (GBS) में भी जीवनरक्षक है।