GO GORAKHPUR: अधिमास में जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करने की परंपरा है. अधिक मास में किए गए दान का पुण्य पूरे परिवार को मिलता है. विष्णु धर्मोत्तर पुराण के मुताबिक अधिक मास में दान देने की परंपरा है. इस महीने में किए गए दान का 10 गुना फल मिलता है. अधिमास 16 अगस्त तक रहेगा. इसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं.
पंडित उदयभान मिश्र बताते हैं कि पुरुषोत्तम महीने के देवता भगवान विष्णु हैं. इसलिए इस महीने में उनकी कृपा पाने के लिए पूजा में नैवैद्य के रूप में पुआ बनाकर चढ़ाना चाहिए. फिर इसका प्रसाद दान देना चाहिए. पुराणों का कहना है कि पुरुषोत्तम मास में हर दिन 33 चीजें दान करके भगवान विष्णु के 33 नाम बोलने चाहिए. इससे लक्ष्मी, पुत्र, पौत्र, सुख और समृद्धि बढ़ती है. इस पवित्र महीने में व्रत, उपवास, पूजा और दान जैसे शुभ काम करने से परिवार सहित सभी पर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा होती है. अधिक मास में दीपदान, मालपुआ और पान का दान करने का विधान ग्रंथों में बताया गया है.
दीपदान: अधिक मास में दीपदान से व्रत और तीर्थ यात्रा का पुण्य मिल जाता है और दीपदान से दरिद्रता दूर होती है. इस दान से सभी तीर्थों का पुण्य मिल जाता है. इस पवित्र महीने में किसी भी मंदिर, गौशाला, नदी, तालाब या घर के बाहर धी और तिल के तेल के दीपक लगाने से समृद्धि मिलती है.
मालपुआ दानः पुरुषोत्तम मास में मालपुआ दान करने का भी विशेष महत्व है. इस महीने में हर दिन गुड़-घी से बने 33 मालपुआ कांसे के बर्तन में रखकर बर्तन सहित जरूरतमंद लोगों को दान करें. मान्यता है कि ऐसा करने से पृथ्वी दान जितना पुण्य मिलता है. हर दिन न कर सकें, तो कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी, नवमी और अष्टमी को करें ये भी न कर सकें, तो किसी भी एक दिन कर सकते हैं.
ताम्बूल दानः पुरुषोत्तम मास में पान दान करने का भी महत्व बताया है. अधिक मास में पान का दान देने से सौभाग्य बढ़ता है. इलायची, लौंग, कपूर नागरपान, कस्तूरी, जावित्री, कत्था और चूना इनमें से जो भी चीजें मिल जाएं. सबको मिलाकर भगवान के लिए ब्राह्मण को देने से ऐश्वर्य और सुख भोगकर मुक्ति मिलती है.
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