उनका पैतृक निवास नवाब हाउस, मोहल्ला बड़े काजीपुर,गोरखपुर था

GO GORAKHPUR:सुप्रसिद्ध् हाकी खिलाड़ी एसएम अली सईद का सोमवार की रात एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया. वे टोक्यो में 1964 में आयोजित ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ी रहे. पारिवारिक सूत्रों से मिली जानकारी मुताबिक वे लंबे से ​बीमार चल रहे थे. उनका अंतिम संस्कार गुलाचीपुर मोहल्ले में स्थित खानदानी कब्रिस्तान में मंगलवार को कर दिया गया। वे 82 वर्ष के थे.

उनके भतीजे आमिर इब्राहिम ने बताया कि बीते डेढ़ वर्ष से अस्वस्थता के कारण कहीं आ-जा नहीं पाते थे. शनिवार को उनकी तबीयत ज्यादा खराब होने पर रूस्तमपुर स्थित एक अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया. चिकित्सकों ने कोशिश की लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. सोमवार की रात करीब 9 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. उनका शव उनके पैतृक निवास नवाब हाउस, मोहल्ला बड़े काजीपुर ले आया गया. वह अपने पीछे भरापूरा परिवार को छोड़ गए हैं।
 

फारवर्ड के बेहतरीन लेफ्ट विंगर
देश की हॉकी के मजबूत स्तंभ रहे एसएम अली सईद 1964 टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम के अहम सदस्य थे. वे फारवर्ड के बेहतरीन लेफ्ट विंगर खिलाड़ी थे. ओलंपिक में पदक जीतने वाले जिले के वे इकलौते खिलाड़ी थे.उनके बाद गोरखपुर की दो खिलाड़ियों प्रेम माया और प्रीति दूबे (दोनों ही हॉकी से) ने भी ओलंपिक में प्रतिभाग किया, लेकिन टीम के हिस्से कोई पदक हासिल नहीं हो सका. 1960 के दशक से लेकर जीवन के अंतिम समय तक उनका हाकी से जुनूनी लगाव बना रहा.हॉकी को लेकर वे अपने परिवार और मिलने वालों से चर्चा किया करते थे. 

पाकिस्तान को फाइनल में रौंदने में एसएम अली सईद आउट साइड लेफ्ट खिलाड़ी का अहम योगदान रहा
1964 के टोक्यो ओलंपिक में हाकी मैच का दृश्य

एसएम अली सईद वो नाम है जो सन 1964 के टोक्यो ओलंपिक में हाकी का ट‍िकट हासिल करने वाली गोल्डन टीम का हिस्सा रहे. पाकिस्तान को फाइनल में रौंदने में इस आउट साइड लेफ्ट खिलाड़ी का अहम योगदान रहा. इनके अलावा यहां के कई किरदारों ने सन 1980 और 2016 के ओलंपिक में स्टिक का प्रदर्शन किया.यह अलग बात है कि उनकी किस्मत ने साथ नहीं दिया. पर हाकी के  इस हब गोरखपुर को अगर मजबूत सहारा मिल जाए तो भारत को सोने का टोटा नहीं पड़ेगा. आम तौर पर हाकी में पंजाब की जोरदार धमक रहती है, लेकिन गोरखपुर की सरजमी भी कलाई के जादूगरों से समृद्ध है. यहां की गलियों में अली जैसे खिलाडिय़ों की भरपूर फसल है. बस, उन्हें सुविधा-संसाधन की दरकार है.

गोरखपुर में स्कूल स्तर पर हाकी की शुरुआत 1916 से हुई. काजी मोहम्मद उस्मान के निर्देशन में बच्चे इस्लामियां कालेज के मैदान में हाकी खेलने आया करते थे. 1945 में अब्दुल मुईद, शांता राम और काजी उस्मान के प्रयास से गोरखपुर में पहली बार राष्ट्रीय हाकी चैंपियनशिप आयोजित हुई. चैंपियनशिप में कई राज्यों सहित रेलवे और सेना की टीम ने हिस्सा लिया. पचास के दशक में गोरखपुर के खिलाडिय़ों ने राष्ट्रीय टीम में दस्तक देनी शुरू कर दी. पहले अनवार अहमद और फिर नसीरूल्लाह खां एवं अवध नरेश भारतीय टीम का हिस्सा बने. 1964 में एसएम अली सईद को टोकियो ओलंपिक के लिए चुना गया. टीम ने फाइनल में पाकिस्तान को शिकस्त देकर गोल्ड मेडल जीता तो गोरखपुर का नाम भी रोशन हुआ.

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By गो गोरखपुर

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