इवेंट गैलरी

कलाकारों के हुनर से सजे नाथ पंथ की विरासत के रंग!

राजकीय बौद्ध संग्रहालय गोरखपुर हुनर के रंग कार्यक्रम

राजकीय बौद्ध संग्रहालय में राष्ट्रीय चित्रांकन शिविर का समापन

Follow us

कलाकारों के हुनर से सजे नाथ पंथ की विरासत के रंग!
कलाकारों के हुनर से सजे नाथ पंथ की विरासत के रंग!

Gorakhpur: गोरखपुर के राजकीय बौद्ध संग्रहालय (संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश) द्वारा आयोजित नव दिवसीय राष्ट्रीय चित्रांकन पूर्णता शिविर और राष्ट्रीय कला शिविर “हुनर के रंग” का समापन सोमवार को भव्य समारोह के साथ हुआ। यह कार्यक्रम नाथ परम्परा और नवनाथ की ऐतिहासिक विरासत को समर्पित था, जिसमें चित्रकला, टेराकोटा कला, लिप्पन कला और शुभांकन कला जैसी विभिन्न कलाओं को प्रदर्शित किया गया।

राजकीय बौद्ध संग्रहालय गोरखपुर हुनर के रंग कार्यक्रम

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रोफेसर पूनम टण्डन, कुलपति, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और विशिष्ट अतिथि श्री नवीन सोनी, वरिष्ठ कलाकार एवं प्रोफेसर, कच्छ विश्वविद्यालय, भुज, गुजरात, श्रीमती संगीता पाण्डेय, महिला उद्यमी, गोरखपुर और प्रोफेसर सुशील तिवारी, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम को और भी प्रभावशाली बनाया।

प्रोफेसर पूनम टण्डन ने अपने संबोधन में कहा कि यह शिविर नाथ पंथ और नवनाथ परम्परा को समर्पित था, जिसमें गुजरात की सोनी आर्ट्स गैलरी के सहयोग से दो राज्यों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया गया। संग्रहालय के उप निदेशक डॉ. यशवंत सिंह राठौर ने बताया कि इस शिविर के माध्यम से गोरखपुर की ऐतिहासिक पहचान को चित्रांकित करने का प्रयास किया गया है।

राजकीय बौद्ध संग्रहालय गोरखपुर हुनर के रंग कार्यक्रम

शिविर में बनाए गए चित्रों को एक ऐतिहासिक स्मारिका के रूप में जल्द ही प्रकाशित किया जाएगा, जो शोधकर्ताओं और इतिहास प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन साबित होगा। शिविर में 50 से अधिक कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया, जिन्हें दर्शकों ने खूब सराहा।

प्रोफेसर सुशील तिवारी ने संग्रहालय के ग्रंथालय को 28 पुस्तकें दान कीं, जिनमें भारतीय और पाश्चात्य दर्शन से संबंधित ग्रंथ शामिल हैं। इसके अलावा, शिविर में भाग लेने वाले 45 वरिष्ठ और युवा कलाकारों को प्रमाण-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

डॉ. यशवंत सिंह राठौर ने कहा कि संग्रहालय युवा कलाकारों, इतिहासकारों और पुरातत्वविदों को एक मंच प्रदान करने के साथ-साथ गोरखपुर और उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा है।

कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथियों को संग्रहालय की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। साथ ही, कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी प्रतिभागियों, अभिभावकों और मीडिया को धन्यवाद दिया गया।

Priya Srivastava

Priya Srivastava

About Author

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में परास्नातक. gogorakhpur.com के लिए हेल्थ, सिनेमा, टेक और फाइनेंस बीट पर रिसर्च करती हैं. 'लिव ऐंड लेट अदर्स लिव' की फिलॉसफी में गहरा यकीन.

महाकुंभ 2025: कुछ अनजाने तथ्य… महाकुंभ 2025: कहानी कुंभ मेले की… गोरखपुर सिटी: टॉप टेन