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भारत बना मेडिकल टूरिज्म का ग्लोबल हब, विदेशों से आ रहे मरीज: राष्ट्रपति मुर्मू

भारत बना मेडिकल टूरिज्म का ग्लोबल हब, विदेशों से आ रहे मरीज: राष्ट्रपति मुर्मू.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एम्स गोरखपुर में कहा कि भारत चिकित्सा पर्यटन का वैश्विक केंद्र बन रहा है। उन्होंने गुणवत्ता, नवाचार और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार पर जोर दिया।

गोरखपुर: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि चिकित्सा क्षेत्र में हुए नवाचारों से स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप भारत विश्व के मानचित्र पर एक मजबूत मेडिकल टूरिज्म हब के रूप में उभरा है। उन्होंने जोर दिया कि भारत दुनिया भर में जटिल बीमारियों से जूझ रहे लोगों को किफायती इलाज मुहैया करा रहा है, और बड़ी संख्या में विदेशी मरीज भी यहाँ उपचार कराने आ रहे हैं। राष्ट्रपति ने इसे भारत के गौरव की गाथा बताया।

राष्ट्रपति मुर्मू सोमवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर के पहले दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थीं। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि चिकित्सा केवल एक सामान्य पेशा नहीं है, बल्कि समाज में चिकित्सक को भगवान के समान दर्जा प्राप्त है। उन्होंने चिकित्सकों को मरीज की सेवा के साथ-साथ देश सेवा का माध्यम भी बताया।

एम्स दीक्षांत समारोह में मेधावियों को किया सम्मानित: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने दो दिवसीय कार्यक्रम के तहत गोरखपुर पहुंची हैं, जिसमें एम्स के दीक्षांत समारोह और आयुष विश्वविद्यालय के लोकार्पण समारोह शामिल हैं। एम्स के दीक्षांत समारोह में उन्होंने सफल अभ्यर्थियों, जिनमें कार्तिक अरोड़ा, मानस पंत, आजमी अमीन, पर्ल यादव, श्वेता कुमारी, आदित्य पांडे, सौम्य पांडे और वैभव शर्मा शामिल थे, को गोल्ड मेडल पहनाकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि एम्स की चिकित्सा व्यवस्था ने पूरी दुनिया में भारत की छवि को और मजबूत किया है, और भारत चिकित्सा पर्यटन के लिहाज से एक महत्वपूर्ण देश बन गया है, जहाँ विश्व के तमाम देशों की अपेक्षा चिकित्सा व्यवस्था सस्ती है।

चिकित्सा क्षेत्र में आधुनिकीकरण और एम्स की जिम्मेदारी: राष्ट्रपति ने इस बात पर बल दिया कि चिकित्सा के क्षेत्र में तेजी से आधुनिकीकरण हो रहा है। उन्होंने गुणवत्ता के साथ-साथ नवाचार को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि टेलीमेडिसिन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक सर्जरी जैसी आधुनिक तकनीकें चिकित्सा सेवाओं को बेहतर बना रही हैं, और एम्स में भी इनका उपयोग किया जा रहा है। राष्ट्रपति ने एम्स गोरखपुर के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि यह पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बिहार और नेपाल के मरीजों के इलाज का प्रमुख केंद्र है। उन्होंने एम्स से मरीजों को गुणवत्तापूर्ण सेवा देने के साथ-साथ नवाचार का केंद्र बनने का भी आह्वान किया।

ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की आवश्यकता: राष्ट्रपति ने चिंता व्यक्त की कि अभी भी देश में बड़ी आबादी तक स्वास्थ्य सुविधाएँ पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच सकी हैं। उन्होंने विशेष रूप से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को पूरा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एम्स इस क्षेत्र में पहल कर सकता है। राष्ट्रपति ने एम्स के भावी चिकित्सकों में संवेदनशीलता और सहानुभूति (इम्पैथी) बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि डॉक्टर और मरीज के रिश्ते बेहतर हो सकें।

उन्होंने कहा कि यदि डॉक्टर को देखकर मरीज के चेहरे पर खुशी आ जाए, तो यह उसके लिए सबसे बड़ी संपत्ति है। राष्ट्रपति ने चिकित्सकों को मानवता की सच्ची सेवा का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह एकमात्र पेशा है जिसमें कभी सेवानिवृत्ति नहीं होती, और चिकित्सक का नाम उसके न रहने पर भी विश्व याद करता है। अंत में, उन्होंने ‘स्वास्थ्य ही संपदा है, इसे सभी को देते रहिए’ का संदेश दिया।



गो गोरखपुर ब्यूरो

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