Gorakhpur: भारतीय रेलवे नेटवर्क पर यात्रियों के बढ़ते दबाव और माल ढुलाई की दिनोंदिन बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास और विस्तार परियोजनाओं पर तेज़ी से काम कर रहा है. इसी के तहत, पूर्वोत्तर रेलवे ज़ोन तेज़ी से ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नलिंग (एबीएस) तकनीक को लागू कर रहा है. एनईआर ने चुरेब-मुंडेरवा सेक्शन में 7.24 किलोमीटर का हिस्सा अब एबीएस से लैस हो गया है. बुधवार को इस रूट पर कमिशनिंग भी पूरी हो गई. इस साल एनईआर ने लगभग 75 किलोमीटर तक एबीएस लगा दिया है.
एनईआर के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी पंकज सिंह ने एक प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी है कि लखनऊ डिवीजन में, गोरखपुर से मुंडेरवा तक लगभग 45 किलोमीटर के ट्रैक और वाराणसी डिवीजन में कुसुम्ही-बैतालपुर सेक्शन के लगभग 30 किलोमीटर के ट्रैक पर एबीएस सिस्टम लगाने का काम पूरा कर लिया गया है. इस काम के पूरा होने से इन रूट्स पर ट्रेनों की संख्या बढ़ाना संभव हुआ है. इससे लाइन की क्षमता में वृद्धि भी हुई है.
क्या है एबीएस तकनीक
ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नलिंग (एबीएस) आधुनिक रेलवे सिग्नलिंग सिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. रेलवे लाइन को छोटे-छोटे खंडों या ‘ब्लॉक’ में बांटकर और हर ब्लॉक में ट्रेन की स्थिति पर लगातार नज़र रखकर, एबीएस ट्रेनों को और अधिक कुशल और सुरक्षित तरीके से संचालित करने में मदद करता है. इस तकनीक की मदद से ट्रेनें एक-दूसरे के काफी करीब चल सकती हैं, जिससे लाइन की क्षमता बढ़ जाती है और ट्रेनों की लेटलतीफी खत्म की जा सकती है. एबीएस सिग्नलिंग का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें मानवीय दखल की जरूरत नहीं के बराबर होती है, जिससे गलती की गुंजाइश भी कम हो जाती है.