Kalpvas kya hai: महाकुंभ मेले में कल्पवास का विशेष महत्व है. इस दौरान श्रद्धालु एक महीने तक संगम के तट पर रहकर वेदाध्ययन, ध्यान और पूजा में लीन रहते हैं. ऐसा माना जाता है कि कल्पवास करने से व्यक्ति को सुख- समृधि, सौभाग्य, संपन्नता और सकारात्मकता की प्राप्ति होती है.
कल्पवास क्या है?
कल्पवास का अर्थ है संगम तट पर एक माह तक निवास कर पुण्य फल प्राप्ति के लिए की जाने वाली साधना. इस दौरान श्रद्धालु कुछ विशेष नियमों का पालन करते हैं. ऐसी मान्यता है कि सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ शुरू होने वाले एक महीने के कल्पवास से उतना ही पुण्य मिलता है जितना ब्रह्मा जी के एक दिन के बराबर होता है.
कल्पवास का महत्व
कल्पवास के दौरान भक्तजन श्वेत या पीले रंग के वस्त्र धारण करते हैं और साधु-संन्यासियों की सेवा, जप, सत्संग, दान जैसे कार्यों में लगे रहते हैं. कल्पवास का सबसे कम समय एक रात का होता है. इसके अलावा तीन रात, तीन महीने, छह महीने, छह साल, बारह साल या जीवन भर के लिए भी कल्पवास किया जा सकता है.
कल्पवास के नियम
पद्म पुराण में कल्पवास के 21 नियम बताए गए हैं जिनमें सत्यवचन, अहिंसा, इन्द्रियों पर नियंत्रण, दया, ब्रह्मचर्य, नित्य स्नान, दान, जप, भूमि पर सोना आदि शामिल हैं. इन नियमों का पालन करके व्यक्ति जन्म-जन्मांतर के बंधनों से मुक्ति पा सकता है. कल्पवास के कुछ प्रमुख नियम हैं:-
- सत्य बोलना
- अहिंसा का पालन करना
- इन्द्रियों को वश में रखना
- सभी प्राणियों पर दया करना
- ब्रह्मचर्य का पालन करना
- नशे से दूर रहना
- ब्रह्म मुहूर्त में जागना
- नित्य तीन बार स्नान करना
- त्रिकाल संध्या का ध्यान करना
- पितरों का पिण्डदान करना
- दान करना
कौन कर सकता है कल्पवास?
पद्म पुराण के अनुसार, कल्पवास सिर्फ साधु-संत ही नहीं बल्कि गृहस्थ भी कर सकते हैं.