GO GORAKHPUR:जनपक्षधरता पत्रकारिता की सबसे बड़ी कसौटी होती है . जनपक्षधरता के साथ पत्रकारिता कठिन तो है, पर जहां इसे विस्मृत किया जाता है ,पत्रकारिता के समक्ष विश्वास का संकट उत्पन्न हो जाता है.
उक्त विचार मंगलवार को गोरखपुर जर्नलिस्ट एसोसिएशन और प्रेस क्लब गोरखपुर के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी पत्रकारिता दिवस पर आयोजित गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ व्यंग्यकार रणविजय सिंह ने व्यक्त किया.
‘पत्रकारिता कितनी स्वतंत्र‘ विषय पर अपने संबोधन में श्री सिंह ने कहा कि अखबार की ताकत का अंदाजा 1977 और 1989 के सत्ता परिवर्तन से लगाया जा सकता है.समय बदलने के साथ इसमें पूंजी लगने लगी है इसलिए हमें इसके कारोबारी सरोकार को भी स्वीकार करना होगा. उन्होंने कहा कि पत्रकार को भाषा की स्वतंत्रता तो है ,पर उसे भाषा ही उक्षृंखलता से बचना होगा.
अखबार में लिखी बातों पर जनमानस का भरोसाः प्रो. सुरेंद्रबुंदेलखंड और सिद्धार्थनगर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति तथा प्रसिद्ध साहित्यकार प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि आज भी समाज का एक बड़ा वर्ग अखबार में लिखी गई बात को पूरे विश्वास के साथ मानता ह और प्रमाण स्वरूप प्रस्तुत करता है. पत्रकार को इस भरोसे को बचाए रखने का प्रयास करना होगा. पत्रकार के लिए उसका उद्देश्य तय होना जरूरी है. पत्रकारिता का लक्ष्य लोक मंगलकारी होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सत्ता का जो चरित्र अंग्रेजों के समय था, आज भी उसके चरित्र में कोई भी अंतर नहीं आया है. उन्होंने कहा कि पत्रकार की सत्ता से टकराहट रोकी नहीं जा सकती. उन्हें इस टकराहट के साथ ही अपनी पत्रकारिता को आगे बढ़ाना होगा.
जगदीशलाल व धनंजय मणि को ‘‘लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान 2023‘‘
बसंतपुर चौराहा स्थित पुष्पांजलि होटल के सभागार में आयोजित समारोह के दौरान गोरखपुर के वरिष्ठ पत्रकार श्री जगदीश लाल को लगभग पांच दशक की सारगर्भित पत्रकारिता के लिए कालजई पत्रकार ‘ज्ञान प्रकाश राय (ज्ञान बाबू )स्मृति लाइफटाइम अचीवमेंट सम्मान 2023‘ प्रदान किया गया, जबकि आंचलिक पत्रकारिता के लिए देवरिया के वरिष्ठ पत्रकार धनंजय मणि त्रिपाठी को सत्यार्थी डॉ राम दरस त्रिपाठी स्मृति लाइफटाइम सम्मान दिया गया. श्री श्रीवास्तव ने विषय से अपने को जोड़ते हुए कहा कि पत्रकारिता ‘ज्ञान सत्ता‘ का प्रतीकहै.राजसत्ता से उसकी टकराहट हमेशा होती रही है. पत्रकार को लोक के कल्याण के लिए संघर्ष जारी रखना चाहिए.
सम्मानित हुए पत्रकार धनंजय मणि ने कहा कि आंचलिक पत्रकारिता की चुनौतियां बहुत है परंतु पत्रकार को इसका डंटकर मुकाबलना करना चाहिए. इसी संदर्भ में उन्होंने ‘पथरदेवा कांड‘ की याद दिलायी.
खबरों की विश्वसनीयता बनाएं रखेंः डा. अरविंद
समारोह की शुरुआत में विषय प्रवर्तन करते हुए दैनिक हिंदुस्तान के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद राय ने कहा कि
पत्रकारिता मानसिकता में निष्पक्ष दिखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि पत्रकारिता सदैव स्वतंत्र रही है. कमजोर संबंधित पत्रकार हो सकता है. उनके अनुसार संस्थान बहुधा पत्रकारों की कलम में हस्तक्षेप नहीं करते. उन्होंने ‘मौके की पत्रकारिता‘ यानी रिपोर्टिंग पर सोदाहरण विस्तार से चर्चा की. कहा कि पत्रकारों ने मौकाए वारदात पर जाना छोड़ दिया है. उनके अनुसार ‘मौके की पत्रकारिता‘ के लिए उन्हें दौड़ लगानी होगी. तभी खबरों की विश्वसनीयता बहाल हो सकती है, खोया विश्वास पुनः अर्जित हो सकेगा.
हिंदी पत्रकारिता में बहुत कुछ करना शेषः डा. एसपी. त्रिपाठी
मुख्य वक्ता डॉ एस पी त्रिपाठी ने कहा कि आज एडवर्टाइजमेंट ने इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म को खत्म कर दिया है. विस्तार पा रहे समाज के विभिन्न क्षेत्रों यथा विज्ञान जगत की खबरों, खोजपरक समाचारों, से हिंदी पत्रकारिता को संपृक्त करने का काम अभी भी पड़ा हुआ जबकि अंग्रेजी भाषा के अखबारों में इनके लिए अलग पृष्ट तक निर्धारित हैं. उसके लिए यह एक बड़ी चुनौती है.
पत्रकारिता का सत्ता से टकराव पुरानाः मनीष
विशिष्ट अतिथि आकाशवाणी के मनीष तिवारी ने कहा कि पत्रकारिता का सत्ता से सदैव संघर्ष रहा है, पर आज समझौते अधिक होने लगे हैं. पत्रकारों को अपने भीतर सुधार करना होगा. समारोह का संचालन मृत्युंजय नवल ने किया . समारोह के प्रारंभ में गोजए अध्यक्ष
रत्नाकर सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया. मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण के साथ शुरू किए गए कार्यक्रम में तथा गोजए की भावी योजनाओं पर उन्होंने प्रकाश प्रकाश डाला. समापन के समय एसोसिएशन के महामंत्री मनोज श्रीवास्तव गणेश ने आगतों के प्रति आभार प्रकट किया. अंत में राष्ट्रगान के साथ समारोह संपन्न हुआ.
इस अवसर पर मुख्य रूप से वागीश श्रीवास्तव और सुमित श्रीवास्तव, अरुण सिंह, मौली शेखर, मृत्युंजय शंकर सिंहा, वहाब खान, उदय प्रकाश पांडे, मनोज नवल, तौकीर आलम, अरकान, रवि राय, अमन मिश्रा, संजीव टोनी, अंकज धर द्विवेदी, आत्मा गुप्ता, एडवोकेट प्रदीप त्रिपाठी, रमेश तिवारी, रवी शंकर पाठक, दयाराम सोनकर, महेश पांडे ,शैलेंद्र सिंह ,धरणीधर राम त्रिपाठी, संतोष मणि, हरीश पांडे, मुर्तजा रहमानी आदि बड़ी संख्या में पत्रकार उपस्थित थे.
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