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Gorakhpur News:इस बार श्रावण में मंदिरों पर होंगे गंगा जल के स्टाल, डाक विभाग करेगा बिक्री

गोरखपुर के झारखंडी शिव मंदिर, मुक्तेश्वरनाथ मंदिर, मुंजेश्वरनाथ, गुरमेश्वर नाथ मंदिर, मानसरोवर, भरोहिया शिव मंदिर  पहले चरण में शामिल

GO GORAKHPUR:हिंदू आस्थावादियों का श्रावण मास निकट है. यह 4 जुलाई से शुरू हो रहा है.इस बार श्रावण मास 59 दिनो का अर्थात दो माह की अवधि का होगा. इस में एक माह मलमास की अवधि शामिल है. इसबार यह अवसर 19 वर्ष बाद आ रहा है. श्रावण मास में इसबार डांक विभाग आस्थावादियों को गंगोत्री से लाया गया गंगा जल उपलब्ध कराएगा. इसके लिए उसने 20 से अधिक शिव मंदिरों को चुना है. यहां गंगाजल मंदिरों पर स्टाल लगाकर विभाग विक्री करेगा. 250 एमएल की एक बोतल की कीमत 30 रूपये होगी. 

खास शिवमंदिरों की हो रही सूची तैयार 
स्टाल लगाने के लिए विभाग की ओर से गोरखपुर डाक मंडल (गोरखपुर व महराजगंज) क्षेत्र में प्राथमिक रूप से 20 से अधिक प्रमुख शिव मंदिरों की सूची बनाई जा रही है. इनमें गोरखपुर के झारखंडी शिव मंदिर, मुक्तेश्वरनाथ मंदिर, मुंजेश्वरनाथ, गुरमेश्वर नाथ मंदिर, मानसरोवर, भरोहिया शिव मंदिर को पहले चरण में शामिल किया गया है. मांग को देखते हुए अन्य शिव मंदिरों में स्टाल लगाने का विकल्प विभाग ने खुला रखा है. इसके लिए विभाग ने गंगाजल की 2000 पैकिंग मंगाई है. जल्द ही स्टाल लगाने के लिए संबंधित डाकघरों को विभाग द्वारा गंगाजल उपलब्ध कराया जाएगा. इसके अलावा एक स्टाल प्रधान डाकघर परिसर में भी लगाया जाएगा.

30 रुपये में 250 मिलीलीटर गंगाजल
हर पैकिंग में 250 मिलीमीटर गंगाजल रहेगा. एक पैकिंग प्राप्त करने के लिए श्रद्धालुओं को 30 रुपये देना होगा. अत्यधिक कम कीमत रखने के पीछे विभाग का उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को गंगाजल उपलब्ध कराना है.


क्या कहते हैं अधिकारी
गोरखपुर डाकमंडल के प्रवर अधीक्षक डाक मनीष कुमार ने बताया कि श्रद्धालुओं को गंगाजल उपलब्ध कराने के लिए सभी प्रमुख डाकघरों के काउंटर से इसकी बिक्री की व्यवस्था की गई है. सभी प्रमुख मंदिरों में सावन के पहले दिन और उसके बार हर सोमवार को गंगाजल के स्टाल लगाए जाएंगे. इसके लिए कुल 17 उप डाकघरों को जिम्मेदारी सौंपी जा रही है. यह डाकघर अपने आसपास के शिव मंदिरों में गंगा जल का स्टाल लगाना सुनिश्चित करेंगे.


क्या है श्रावण मास 
आस्थावादियों के आराध्य भगवान शिव को समर्पित, श्रावण मास बहुत महत्व रखता है. यह भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में लाखों हिंदुओं के लिए आध्यात्मिक भक्ति, उपवास और उत्सव का समय है. आमतौर पर, सावन अपने वहां मानसून के मौसम के आगमन के समय जुलाई और अगस्त के महीनों में पड़ता है. बारिश को भगवान शिव का आशीर्वाद और जीवन के नवीनीकरण का प्रतीक माना जाता है.श्रावण या सावन कब है?
इस साल, सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू होगा और 31 अगस्त तक चलेगा. यह 59 दिनों का होगा, और हर साल सामान्य चार के बजाय आठ सावन सोमवार या सोमवार होंगे.


दुर्लभ संयोग
इस वर्ष, सावन एक दुर्लभ घटना के कारण विशेष महत्व रखता है – श्रावण उत्सव 59 दिनों तक चलेगा. इसलिए हिंदुओं में उत्साह. 59 दिनों की असामान्य लंबाई इस वर्ष को अतिरिक्त शुभ बनाती है. यह एक दुर्लभ घटना है जो 19 साल बाद हो रही है. कथित तौर पर, ज्योतिषीय गणना और हिंदू कैलेंडर के अनुसार, अधिक मास या मल मास ने इस साल सावन महीने की लंबाई बढ़ा दी है.


महत्वपूर्ण तिथियां ये हैंः
4 जुलाई 2023, मंगलवार – श्रावण आरंभ
10 जुलाई 2023, सोमवार – पहला श्रावण सोमवार व्रत
17 जुलाई 2023, सोमवार – दूसरा श्रावण सोमवार व्रत
18 जुलाई 2023, मंगलवार – श्रावण अधिक मास आरंभ
24 जुलाई 2023, सोमवार – तीसरा श्रावण सोमवार व्रत
31 जुलाई 2023, सोमवार – चतुर्थ श्रावण सोमवार व्रत
7 अगस्त 2023, सोमवार – पांचवां श्रावण सोमवार व्रत
14 अगस्त 2023, सोमवार – छठा श्रावण सोमवार व्रत
16 अगस्त 2023, बुधवार – श्रावण अधिक मास समाप्त
21 अगस्त 2023, सोमवार – सातवां श्रावण सोमवार व्रत
28 अगस्त 2023, सोमवार – आठवां श्रावण सोमवार व्रत
31 अगस्त 2023, गुरुवार – श्रावण समाप्त

सावन उत्सवः
सावन सोमवार व्रत (उपवास) के अलावा – भगवान शिव और माँ पार्वती को समर्पित कांवर यात्रा भी श्रावण उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस अनुष्ठान में भगवान शिव के भक्त छोटे-छोटे बर्तनों, जिन्हें कांवर कहा जाता है, में पवित्र नदियों से जल ले जाते हैं, केसरिया रंग के कपड़े पहनते हैं, और अपनी भक्ति और समर्पण के प्रतीक के रूप में भगवान शिव से जुड़े पवित्र स्थानों तक पैदल चलते हैं.
भारतीयों की यही आस्था और उनका विश्वास विदेशियों को भी आकर्षित करता रहा है. यहां एक प्रसंग मुगल बादशाह सिकंदर का उल्लेख करना अनुचित न होगा. उनके गुरू सुकरात ने उनसे कहा था-
सिकंदर से कहा सुकरात ने राजन विजय जब हिंद पर पाना।
हमारे वास्ते भारत से एक ज्ञानी गुरू लाना ।।
हमारे वास्ते लाना प्रभो भारत से एक गीता ।
नृपति तुम भूल मत जाना कहानी राम और सीता।।
हमारे वास्ते तुम राजन गंगाजल भी ले आना।
जिसे पी पीकर ऋषियों ने गहरे तत्त्व को छाना ।।
हमारे वास्ते राजन कमल , वंशी भी ले आना।
बजाकर हमभी देखेंगे कैसा स्वर है मस्ताना ।।
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