बौद्ध संग्रहालय में ज्ञान का संगम: बौद्ध धर्म, पर्यावरण और प्रबंधन पर व्याख्यान
Gorakhpur: राजकीय बौद्ध संग्रहालय में भारतीय संस्कृति के प्रति रुचि बढ़ाने के उद्देश्य से सात दिवसीय राष्ट्रीय व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया जा रहा है. इस श्रृंखला के तीसरे दिन दो विद्वानों ने बौद्ध धर्म, पर्यावरण और प्रबंधन के महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किए.
प्रोफेसर (डॉ.) मालविका रंजन ने “बौद्ध धर्म और पर्यावरण” विषय पर अपने व्याख्यान में भगवान बुद्ध की शिक्षाओं की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि बौद्ध धर्म में प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के महत्व पर जोर दिया गया है. डॉ. रंजन ने वर्तमान समय में पर्यावरण संकट को देखते हुए बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को अपनाने की जरूरत पर बल दिया.
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डॉ. जसवीर सिंह चावला ने “बुद्धकीय प्रबंधन उर्फ सम्यक प्रबंधन: परिचय एवं प्रयोग” विषय पर अपना व्याख्यान दिया. उन्होंने जातक कथाओं का अध्ययन करते हुए बताया कि बुद्धकीय प्रबंधन, जिसे सम्यक प्रबंधन भी कहा जाता है, एक ऐसा मॉडल है जो किसी भी देश को समृद्ध और शांतिपूर्ण बना सकता है. उन्होंने “सम्यक” शब्द का अर्थ बताते हुए कहा कि इसका तात्पर्य ऐसे प्रबंधन से है जो सभी हितधारकों को प्रसन्न और संतुष्ट करे.
डॉ. चावला ने कहा कि यह मॉडल प्रतिस्पर्धा, हिंसा और मार-काट से रहित समाज का निर्माण कर सकता है. उन्होंने जातक कथाओं में वर्णित बोधिसत्व के चरित्र को एक आदर्श बुद्धिस्ट प्रबंधक का उदाहरण बताया. उन्होंने कहा कि सम्यक प्रबंधन अतिवाद से बचते हुए बीच का रास्ता निकालने पर जोर देता है और मानवीय सरोकारों को प्राथमिकता देता है. उन्होंने आधुनिक प्रबंधन के साथ सम्यक प्रबंधन की शिक्षा को जोड़ने की आवश्यकता बताई.

इस कार्यक्रम में डॉ. चावला द्वारा निर्देशित लघु फिल्म “नेक सलाह” का प्रदर्शन भी किया गया, जो जातक अट्ठकथाओं पर आधारित है. यह फिल्म दर्शकों को नैतिक मूल्यों और सही मार्गदर्शन के महत्व को समझने में मदद करती है.
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर (डॉ.) पारोमिता शुक्ला बैद्या ने की, जो पर्यटन और अतिथि सेवाओं की पूर्व निदेशक हैं. उन्होंने व्याख्यानों की सराहना करते हुए कहा कि ये बौद्ध धर्म और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर नई रोशनी डालते हैं.
श्रीमती रीता श्रीवास्तव ने कार्यक्रम का संचालन किया. संग्रहालय के उपनिदेशक, डॉ. यशवन्त सिंह राठौर ने सभी अतिथियों, वक्ताओं और दर्शकों का धन्यवाद ज्ञापित किया. उन्होंने बताया कि यह श्रृंखला आगे भी जारी रहेगी और विभिन्न विषयों पर महत्वपूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत किए जाएंगे.