Gorakhpur News: जिन सांपों को देखकर हमारे पसीने छूट जाते हैं, उन्हीं सांपों की तस्करी का कारोबार चेन्नई से लेकर चाइना तक फैला हुआ है. सांपों की तस्करी के एक अंतराष्ट्रीय गिरोह के कुछ बदमाश गोरखपुर से पकड़े गए हैं. इनसे पूछताछ में जो हकीकत सामने आई वह बिलकुल चौंकाने वाली है. वाराणसी का रहने वाला रमाशंकर मौर्या 20 लाख रुपये लेकर चेन्नई के गुंटूर के जंगलों में गया. वहां उन पैसों से रेड सैंड बोवा, जिसे देसज में दोमुहां सांप कहते हैं, लेकर आया. यहां उसके तीन साथी कैंपियरगंज का ओमप्रकाश सिंह, आजमगढ़ का राजाराम और शहर के बसंतपुर इलाके का रहने वाला सैफुद्दीन उसका इंतजार कर रहे थे. तस्करी कर लाए गए सांप को चारों ने शहर के शाहपुर इलाके में रखा. वे इस सांप को नेपाल भेजने की फिराक में थे, लेकिन एसटीएफ की सक्रियता से सभी चारों दबोच लिए गए. रेड सैंड बोवा को वन विभाग की टीम की देखभाल में दे दिया गया है.
एसटीएफ को सूचना मिली थी कि कुछ लोग चाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन ऐक्ट 1972 के अनुसूची-1 में चिह्नित रेड सैंड बोवा सांप की तस्करी गोरखपुर से होते हुए नेपाल में अंतराष्ट्रीय गिरोह को होने वाली है. एसटीएफ प्रभारी सत्य प्रकाश सिंह ने मीडिया को बताया कि सांप की तस्करी की रोकथाम के लिए सूचनाएं जुटाई जा रही थीं. सोमवार को एसटीएफ और वन विभाग व डब्लूसीसीबी की टीम ने मुखबिर की सूचना पर कार्रवाई करते हुए चार बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया.
पूछताछ में अभियुक्त रमाशंकर मौर्य ने बताया कि रेड सैंड बोवा सांप की तस्करी करने वाला एक गिरोह है, जिसमें शैलेंद्र यादव, इमरान खान व अरुण सिंह आदि जुड़े हैं. इन लोगों ने ही रमाशंकर मौर्य के बैंक खाते में 20 लाख दिए और उसे गुन्टूर, चेन्नई भेजा था. वहां पर कुछ लोग मिले जो उसे जीप से जंगल में ले गए. जंगल का यह सफर करीब पांच घंटे का था. वहां पर उन लोगों ने एक बैग में यह बहुमूल्य रेड सैंड बोवा सांप दिया. उस सांप को लेकर वह गोरखपुर आया था. रमाशंकर ने बताया कि इससे पहले भी वह कई बार रेड सैंड बोवा सांप ला चुका है. बताया जाता है कि इस सांप का इस्तेमाल तंत्र-मंत्र में और दवा बनाने में किया जाता है. भारत से नेपाल के रास्ते चीन तक इस सांप की तस्करी होती है. एसटीएफ ने सांप के रख-रखाव एवं आवश्यक कार्रवाई के लिए वन विभाग को सुपुर्द कर दिया है.