लॉकर रूम से गेट तक 30 सेकेंड में पहुंची थी पूजा, शक ने पहुंचाया हवालात

Ghaziabad: पुलिस ने दावा किया है कि मोदीनगर में बैंक ऑफ बड़ौदा की राज चौपला शाखा के लॉकर से 19 अक्टूबर को हुए 30 लाख के गहनों की चोरी का 56 दिन बाद शनिवार को खुलासा हो गया. चोरी आदर्शनगर निवासी अंकुश गोयल के लॉकर से हुई थी. पुलिस ने उनके पड़ोस में रहने वाली पूजा गर्ग को गिरफ्तार कर उसके घर से चोरी किए गए गहने बरामद कर लिए. चोरी में पूजा का पति नितिन भी शामिल रहा. उसकी तलाश की जा रही है.

पूजा ने पुलिस को बताया कि करवा चौथ से एक दिन पहले, 19 अक्टूबर को, जब वह अपने लॉकर से गहने निकालने गई, तो उसने देखा कि बगल का लॉकर खुला हुआ है और उसमें बहुत सारे गहने हैं. यह देखकर, उसने उन्हें चुराने का फैसला किया. उसने पुलिस को बताया कि वह गहनों को ले जाने के लिए जल्दी से घर वापस गई और अपने पति नितिन को साथ लेकर आई. दोनों ने गहने निकाले और एक बड़े थैले में भरकर ले गए. पूजा को पता था कि लॉकर रूम में कोई कैमरा नहीं है, इसलिए उसने सोचा कि पुलिस उसे पकड़ नहीं पाएगी.

पूजा ने बताया कि करवा चौथ के दौरान बहुत सी महिलाएं लॉकर से जेवर निकालने आई थीं, इसलिए उसे लगा कि पुलिस को यह पता लगाना मुश्किल होगा कि किसने जेवर चुराए हैं. उसने यह भी बताया कि उसके पति नितिन गर्ग की कोरोना के दौरान नौकरी चली गई थी, जिससे परिवार आर्थिक तंगी में आ गया था. अभी कुछ दिन पहले उसके पति के कंधे में फ्रैक्चर हुआ था. लॉकर खुला देखकर उसके मन में लालच आ गया.

दो महीने से खुला पड़ा था लॉकर: निजी कंपनी के कर्मचारी अंकुश गोयल की पत्नी ईशा गोयल ने पुलिस को बताया कि उनके पास यह लॉकर 20 सालों से है और इसे उनके पति और ससुर जय किशन गोयल इस्तेमाल करते हैं. 28 अगस्त को अंकुश के ससुर ने लॉकर का उपयोग किया था. ईशा को 20 अक्टूबर को बैंक से फोन आया और बताया गया कि उनका लॉकर खुला पड़ा है. बैंक कर्मचारियों ने बताया कि आखिरी बार लॉकर का उपयोग करने के बाद इसे बंद नहीं किया गया था. इस तरह, लॉकर लगभग दो महीने तक खुला रहा और बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों को इतने लंबे समय तक इसका पता नहीं चला.

आसान नहीं था केस, फुटेज से पूजा पर हुआ शक: डीसीपी देहात, सुरेंद्र नाथ तिवारी ने स्थानीय मीडिया को बताया कि पूजा गहनो को बेचने की योजना बना रही थी. उसने एक सराफ से इस बारे में बात भी की थी. उसके पास से चोरी के सभी गहने बरामद कर लिए गए हैं, जिनमें 361 ग्राम सोने के गहने और एक किलो 29 ग्राम चांदी के गहने शामिल हैं. इस केस को सुलझाना पुलिस के लिए आसान नहीं था क्योंकि 19 और 20 अक्टूबर को बहुत सारे लोग अपने लॉकर से गहने लेने आए थे. ये सभी लोग बैंक के कैमरे में कैद हो गए थे. पुलिस ने सभी फुटेज देखे और पाया कि पूजा दो बार बैंक आई थी. उस पर शक इसलिए हुआ क्योंकि जाते समय वह बहुत तेजी से चल रही थी. वह लॉकर रूम से निकलकर 30 सेकंड में गेट तक पहुंच गई. उसका पति बाद में गहने लेकर आया. वह बैंक के बाहर बहुत बेचैन लग रही थी और अपने पति को देखकर उसने राहत की सांस ली. इन सभी बातों से उस पर शक हुआ और पूछताछ में उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया.

दो चाबी से खुलता है लॉकर: लीड बैंक मैनेजर बुद्धिराम के अनुसार बैंक लॉकर को खोलने के लिए दो चाबियों की आवश्यकता होती है. एक चाबी ग्राहक के पास रहती है जबकि दूसरी बैंक के पास सुरक्षित रहती है. जब कोई व्यक्ति अपना लॉकर खोलना चाहता है, तो उसे बैंक को सूचित करना आवश्यक होता है. बैंक का एक अधिकारी या कर्मचारी ग्राहक के साथ लॉकर रूम में जाता है और लॉकर खोलने में सहायता करता है. लॉकर खुलने के बाद, कर्मचारी वापस लौट जाता है. लॉकर का लॉक इस प्रकार से डिज़ाइन किया गया है कि खुलने के बाद भी चाबी लॉक में ही रहती है और केवल लॉकर बंद होने पर ही चाबी निकाली जा सकती है. हालाँकि, मोदीनगर के बैंक ऑफ बड़ौदा मामले में, लॉकर खुला रहने के बावजूद दोनों चाबियाँ गायब हो गईं, जो कि एक आश्चर्यजनक घटना है.

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By गो गोरखपुर

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