ठोंक बजा के... बात-बेबात

गाड़ी वाला नहीं आया, घर में कचरा संभाल…

ठोंक बजा के...
गाड़ी वाला नहीं आया, घर में कचरा संभाल…

पने नगर निगम के स्वच्छता अभियान के तहत कूड़ा वाहनों पर बजाया जाने वाला यह गीत तो सुना होगा —

…गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल…

सफाई और स्वच्छता में इंदौर नगर निगम से रेस लगाने वाला गोरखपुर नगर निगम अपनी पीठ भले ही थपथपा ले, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. इंदौर विजिट में साहबान जो भी सीख-समझकर आएं, लेकिन उनकी नीयत में बट्टा लगा देते हैं कचरा उठाने वाले वाहन चालक.

महानगर के तकरीबन अस्सी वार्डों में घरों से कचरा उठने की व्यवस्था अपनी शुरुआत के साथ ही कभी पटरी पर नहीं आई. दो दिन कूड़ा उठा, फिर चार दिन गोल. नगर निगम के सफाई ठेकेदार, एरिया सुपरवाइज़र के सीयूजी नंबरों पर मज़ाल क्या कि कभी बात हो जाए. दिस नंबर इज़ नॉज रिचेबल…या उपभोक्ता अभी पहुंच के बाहर है….आप क्या कर लोगे?

पिछले एक वर्ष से नगर निगम के आला अधिकारी घरों से कचरा उठने की प्रक्रिया के दुरुस्त होने के दावे कर रहे हैं. यह व्यवस्था ‘कूड़ा कलेक्शन माफिया’ के चंगुल से जरूर कुछ हद तक मुक्त हुई दिख रही, लेकिन सफाई कर्मचारी तो प्राय: अब भी लापता हैं. हफ्ते में दो से तीन दिन पहुंच गए तो शुक्र मनाइए. और अगर गलती से कहीं उनकी शिकायत ‘साहब’ से कर दी तो पूरे हफ्ते गोल.

ऐसा कुछ याद आ रहा है कि नगर निगम ने कचरा उठाने वाली गाड़ियों की मॉनिटरिंग के लिए तकनीकी रूप से उन्नत कोई व्यवस्था शुरू की थी. शायद कचरा वाहनों के जीपीएस ट्रैकिंग की. ऐसे में यह सवाल मन में जरूर आता है कि क्या जीपीएस प्रणाली (या नगर निगम की ​मॉनीटरिंग के संबंध में किसी दूसरी प्रणाली) ने भी इस व्यवस्था के आगे सरेंडर कर दिया?

नगर निगम शिकायतें सुनने में अधीर है. इस तथ्य में शायद ही किसी को कोई संदेह हो. शिकायत निवारण प्रणाली की नौबत तो तब आएगी न जब शिकायत हो सकेगी. महीने के अंत में 100 रुपये की वसूली करने में नगर निगम कोई लापरवाही भले न करे, लेकिन नागरिकों की सफाई संबंधी शिकायतें सुनने में आनाकानी तो है ही, मनमानी भी खूब है. मर्जी हुई तो फोन उठा, नहीं तो सीयूजी नंबर तो पूरी ईमानदारी से बता देता है कि ‘साहब’ अभी व्यस्त हैं.

फिलहाल, अब नगर निगम की गाड़ियों से बजने वाले गीत का स्वर बदल गया है. इसे भी याद रखें — गाड़ी वाला नहीं आया, घर में कचरा संभाल…


Siddhartha Srivastava

Siddhartha Srivastava

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आज, राष्ट्रीय सहारा, अमर उजाला, हिंदुस्तान, दैनिक जागरण जैसे हिंदी अखबारों में 18 साल तक सांस्थानिक पत्रकारिता का अनुभव. l10n और i18n इंडस्ट्री में करीब 2 साल पूर्णकालिक तौर पर जुड़े रहे. वर्तमान में Go Gorakhpur के लिए स्वतंत्र लेखन और अनुवाद कार्यों में संलग्न. email:- siddhartha@gogorakhpur.com

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