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Gorakhpur: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में बसंत पंचमी के अवसर पर विभिन्न विभागों में मां सरस्वती की समिधापूर्वक आराधना की गई. प्राचीन इतिहास विभाग में आयोजित पूजा-अर्चना में कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन मुख्य यजमान के तौर पर शामिल हुईं. उन्होंने कर्मचारियों को वस्त्र भेंट किए और विद्यार्थियों को पुरस्कृत भी किया.
कुलपति ने कहा कि ज्ञान एवं कला से मनुष्य को पूर्णता प्राप्त होती है. मां सरस्वती ज्ञान एवं कला की अधिष्ठात्री देवी हैं. बसंत पंचमी के अवसर पर उनकी पूजा हमारी परंपरा रही है. प्राचीन इतिहास विभाग विगत 45 वर्षों से अनवरत वाग्देवी सरस्वती की आनुष्ठानिक पूजा समारोहपूर्वक करता आ रहा है.
विज्ञान संकाय के प्राणी विज्ञान एवं जंतु विज्ञान विभाग, अभियांत्रिकी संकाय समेत विभिन्न विभागों में भी बसंत पंचमी के अवसर पर मां सरस्वती की विधिवत आराधना की गई.
बसंत पंचमी पर्व की परंपरा पर प्रकाश डालते हुए प्रोफेसर राजवंत राव ने बताया कि यह प्राचीन भारत में दीक्षा पर्व के रूप में मनाया जाता था. श्रावण की पूर्णिमा को विद्या आरम्भ होता था और माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को विद्या समाप्ति अर्थात दीक्षांत समारोह सम्पन्न किया जाता था. इस रूप में बसंत पंचमी का पर्व आज भी महत्वपूर्ण है.