AIIMS Gorakhpur: गोरखपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने एक और चिकित्सीय मील का पत्थर हासिल किया है। संस्थान के दंत शल्य विभाग के विशेषज्ञों ने एक 32 वर्षीय युवक के गोली से क्षतिग्रस्त चेहरे का सफलतापूर्वक पुनर्निर्माण किया। यह जटिल सर्जरी डॉ. शैलेश कुमार, ओरल एवं मैक्सिलोफेशियल सर्जन के नेतृत्व में तीन घंटे तक चली और इसमें मरीज के चेहरे, जबड़े, नाक, जीभ और हथेली का पुनर्निर्माण किया गया।
यह घटना बिहार के गोपालगंज की है, जहां एक शादी समारोह के दौरान पार्किंग को लेकर हुए विवाद में 32 वर्षीय युवक पर छह गोलियों से हमला किया गया। हालांकि, समय रहते उसकी जान बचा ली गई, लेकिन गोलियों ने उसके चेहरे और शरीर के कई हिस्सों को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। मरीज को पहले गोपालगंज सदर अस्पताल और फिर बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर ले जाया गया। हालत गंभीर होने के कारण उसे एम्स गोरखपुर रेफर किया गया।
डॉ. शैलेश कुमार और उनकी टीम ने तत्काल सर्जरी की तैयारी शुरू की। इस जटिल सर्जरी में मरीज के दोनों जबड़े, गाल, नाक, जीभ, कान के पीछे के हिस्से और कंधे का पुनर्निर्माण किया गया। साथ ही, ऑर्थोपेडिक्स विभाग की टीम ने हथेली की टूटी हुई उंगलियों को “जेस फिक्सेशन डिवाइस” की मदद से जोड़ा। मरीज अब पिछले 15 दिनों से मैक्सिलोफेशियल वार्ड में चिकित्सकों की गहन निगरानी में है और तेजी से स्वस्थ हो रहा है।
एम्स गोरखपुर की निदेशक एवं सीईओ, मेजर जनरल (डॉ.) विभा दत्ता ने इस सफल सर्जरी पर दंत शल्य विभाग को बधाई दी। उन्होंने कहा, “यह एम्स गोरखपुर के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। अब इस क्षेत्र में भी जटिल मैक्सिलोफेशियल सर्जरी संभव हो गई है। मरीजों को अब दिल्ली या लखनऊ जैसे बड़े शहरों में रेफर करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।”
यह सफल ऑपरेशन न केवल एम्स गोरखपुर के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, बल्कि पूर्वी उत्तर प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों के मरीजों के लिए भी एक आशा की किरण साबित हुआ है। एम्स गोरखपुर अब ऐसी जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देने में सक्षम है, जिससे गंभीर रूप से घायल मरीजों को बेहतर और अत्याधुनिक चिकित्सा सेवाएं मिल सकेंगी।