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फोटो-सोशल मीडिया
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GO GORAKHPUR:शहरवासी गली के कुत्तों से परेशान हैं. इन्हें भगाइए तो आक्रामक हो जाते हैं. बाइकर्स को दौड़ा लेते हैं. उनके साथ रेस लगा कर मुसीबत खड़ी करते हैं और कई बार चालक असंतुलित होकर गिर जाते हैं तथा घायल हो जाते हैं. हमलावर हो काट लेते हैं सो अलग. इनके आतंक का सुबूत जिला जिला अस्पताल में हर दिन लगने वाले 150 से अधिक एंटी रेबीज इंजेक्शन से जुटाया जा सकता है.इनका शिकार हुओं में 30 फीसदी बच्चे होते हैं.
घरों में पाले गए विदेशी नस्ल के कुत्तों से ज्यादा खतरनाक हो चले हैं गली के ये कुत्ते. गली के कुत्तों का वैक्सीनेशन नहीं होता और ये आपके दरवाजे के इर्द-गिर्द ही मंडराते हैं. अगर काट लिए तो जान पर बन आएगी. इन्हें न तो मारिए-पीटिए और न भगाइए.बस जरूरत है, इन्हें एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने की. यह काम कॉलोनी के लोग भी कर सकते हैं. जानकारों का कहना है कि देसी कुत्तों को पकड़कर जंगल में छोड़ने के लिए नगर निगम भारी भरकम रकम खर्च करता है, उसी बजट से इनका वैक्सीनेशन करा दे तो हर कोई सुरक्षित रहेगा.
गली के कुत्तों के आतंक से आम से लेकर खास सभी वर्ग के लोग परेशान हैं, लेकिन इनसे बचने का इंतजाम किसी के पास नहीं है. जबकि यह मुसीबत हर दरवाजे पर खड़ी है. इसका शिकार कब कौन हो जाए, किसी को भी नहीं पता. जिला अस्पताल में हर दिन लगने वाले 150 से अधिक एंटी रेबीज इंजेक्शन भी इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि गली के कुत्ते किस कदर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. इसमें भी 30 फीसदी बच्चे हैं. इसे लेकर कुछ शिकायतें नगर निगम तक पहुंचीं भी, लेकिन मामला गली के कुत्तों का था, तो शिकायतों को भी नजरअंदाज कर दिया गया.
हर गली, कॉलोनी में कुत्तों का झुंड रात-दिन घूम रहा है. हालात ऐसे हैं कि रात में अगर कोई कॉलोनी में पैदल या मोटरसाइकिल लेकर चला जाए तो ये कुत्ते दौड़ा लेते हैं. कई बार बाइक सवार कुत्तों से पीछा छुड़ाने के लिए स्पीड तेज करते हैं, तो वे अनियंत्रित होकर गिर जाते हैं और चोटिल हो जाते हैं. कुछ कॉलोनियां ऐसी भी हैं, जहां लोग डर के मारे अपने बच्चों को शाम के वक्त निकलने से भी मना कर देते हैं.
गली के कुत्तों का वैक्सीनेशन जरूरी
इंद्रप्रस्थपुरम निवासी भानुप्रकाश नारायण का कहना है कि कॉलोनियों में कुत्तों का खतरा बढ़ गया है. ये काटने के साथ गंदगी भी कर रहे हैं. इसे लेकर नगर निगम से शिकायतें भी की गई हैं. लेकिन, कोई सुनवाई नहीं हुई. भोजन की तलाश में खाली प्लाट से गंदगी साफसुथरी जगह पर बिखेर देते हैं. नगर निगम को कुत्तों की
जनसंख्या पर अंकुश लगाने की जरूरत है. इनका भी वैक्सीनेशन कराएं. कॉलोनी के लोगों से भी बात करेंगे कि सब मिलकर इन्हें एआरवी का इंजेक्शन लगवा दें.
शोर मचाते हैं…भगाइए तो काटने को दौड़ाते हैं
मानस बिहार कालोनी निवासी मोहित के अनुसार कॉलोनी में गली के कुत्तों का आतंक इस कदर है कि इनके भौं-
भौं से बातचीत करना मुश्किल हो जाता है. रात में इस तरह यह भौंकते हैं कि सुनाई तक नहीं देता. अगर इन्हें भगाने जाएं तो काटने को दौड़ा लेते हैं. स्थिति ऐसी हो गई है कि शाम के वक्त बच्चों को कॉलोनी में खेलने के लिए खुद ही निगरानी रखनी पड़ती है. नगर निगम इन्हें पकड़ने की बजाय, इनका वैक्सीनेशन कराए.
“कोनी में बनेगा संरक्षण केंद्र, वहीं होगा वैक्सीनेशन”
नगर निगम के प्रशासनिक सूत्र का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी नियमों के अनुसार आवारा कुत्तों को पकड़कर कहीं शिफ्ट (विस्थापित) नहीं किया जा सकता. शहर में ऐसे कुत्तों की समस्याएं बढ़ रही हैं. निगम ने कोनी इलाके में एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा है.
कुत्तों को पकड़कर यहां रखा जाएगा. ये करीब 5 हजार स्क्वायर फिट क्षेत्रफल में 1.62 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा. इसके बन जाने के बाद आवारा कुत्तों को यहां लाकर चार से पांच दिन रखा जाएगा और यहीं पर उनका वैक्सीनेशन किया जाएगा.
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