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यूपी में 3.45 करोड़ बिजली उपभोक्ताओं को लग सकता है बड़ा झटका; जानें कब से बढ़ेंगे बिल

यूपी में 3.45 करोड़ बिजली उपभोक्ताओं को लग सकता है बड़ा झटका; जानें कब से बढ़ेंगे बिल
उत्तर प्रदेश में बिजली कंपनियों ने दरों में 45% तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा। उपभोक्ताओं ने ₹33,122 करोड़ सरप्लस का आरोप लगाते हुए विरोध किया। सितंबर तक नई दरें लागू होने की संभावना।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के करीब 3.45 करोड़ बिजली उपभोक्ताओं को जल्दी ही बिजली के बिलों में तगड़ा झटका लग सकता है। बिजली कंपनियों ने तो नियामक आयोग के सामने 45% तक दाम बढ़ाने का प्रस्ताव रख दिया है। इस प्रस्ताव पर बुधवार को कानपुर में और शुक्रवार को वाराणसी में लोगों की बातें सुनी गईं, और वहाँ उपभोक्ता, कारोबारी संगठन और बाकी सबने मिलकर इस बढ़ोतरी का जमकर विरोध किया।

उपभोक्ताओं का ₹33,122 करोड़ सरप्लस होने का दावा: राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आरोप लगाया है कि प्रदेश में उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर ₹33,122 करोड़ का सरप्लस (अधिशेष) बकाया है। परिषद की दलील है कि जब उपभोक्ताओं का इतना बड़ा सरप्लस निकल रहा है, तो कोई भी कानून दरों में बढ़ोतरी की इजाजत नहीं देता। इसके बावजूद, कंपनियां दरों में वृद्धि कर सीधे आम जनता पर भारी बोझ डाल रही हैं, जबकि इस सरप्लस को लौटाने पर कोई बात नहीं हो रही।

प्रस्तावित बढ़ोतरी और इसका प्रभाव: यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो घरेलू उपभोक्ताओं के बिजली बिल 30 से 45% तक बढ़ सकते हैं। नई दरों में प्रति यूनिट रेट ₹8 से ₹12 तक पहुंच जाएगा। पावर कॉर्पोरेशन की याचिका के अनुसार, ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं के लिए अधिकतम फिक्स चार्ज ₹8 और शहरी के लिए ₹9 प्रति यूनिट का प्रस्ताव है। फिक्स चार्ज, विद्युत कर और अन्य शुल्क जोड़ने पर प्रति यूनिट ₹12 से ₹13 तक चुकाने पड़ सकते हैं।

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद का आरोप है कि पावर कॉर्पोरेशन ने फिक्स चार्ज में बड़ा खेल किया है। शहरी फिक्स चार्ज ₹110 से बढ़ाकर ₹190 प्रति किलोवाट और ग्रामीण क्षेत्र में ₹90 से बढ़ाकर ₹150 प्रति किलोवाट प्रस्तावित है। यदि यह प्रस्ताव लागू हुआ, तो 100 यूनिट खपत पर आम घरेलू उपभोक्ताओं का मासिक बिजली बिल ₹660 से बढ़कर ₹840 हो जाएगा, जिससे हर वर्ग पर सीधा असर पड़ेगा।

उद्योग और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: उपभोक्ताओं और कारोबारियों ने एक स्वर में कहा कि टैरिफ में बढ़ोतरी से बिजली के रेट में कई गुना इजाफा होगा, जिससे महंगाई बढ़ने के साथ ही उद्योग भी प्रभावित होंगे। उन्होंने दलील दी कि एक तरफ प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य है, वहीं टैरिफ लगाने से बिजली की दरें ₹9 से ₹10 प्रति यूनिट हो जाएंगी, जिसका असर सीधे आम आदमी की जेब पर पड़ेगा और औद्योगिक विकास बाधित होगा।

निजीकरण और अन्य मुद्दे: जनसुनवाई में उपभोक्ता परिषद ने यह भी बताया कि दक्षिणांचल-पूर्वांचल का निजीकरण होने की दशा में सबसे ज्यादा असर केस्को कानपुर के उपभोक्ता पर पड़ेगा, क्योंकि केस्को को सबसे महंगी बिजली ₹7.18 प्रति यूनिट की दर से अलॉट है। निजीकरण के बाद सभी कंपनियों की बिजली दरें अलग-अलग होंगी।

इसके अतिरिक्त, उपभोक्ताओं ने मीटर रीडिंग और बिलिंग गड़बड़ी, ट्रिपिंग, ओवर चार्जिंग, स्मार्ट प्रीपेड मीटर में चीनी कंपोनेंट के कारण रीडिंग जंप करने, मल्टी स्टोरी परिसर में रहने वाले उपभोक्ताओं को बिजली बिल का डिटेल न मिलने, और 1 किलोवाट तक के घरेलू उपभोक्ताओं को दुकान खोलने पर घरेलू टैरिफ न मिलने जैसे मुद्दे भी उठाए। वाराणसी में हुई जनसुनवाई में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में 7% बिजली चोरी (₹1628 करोड़ सालाना) और सरकारी विभागों पर ₹4489 करोड़ के बकाया का मुद्दा भी उठाया गया।

विद्युत नियामक आयोग जुलाई में टैरिफ याचिका पर आपत्तियों की सुनवाई पूरी कर लेगा और सितंबर तक नई दरों के लागू होने की बात कही जा रही है।

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Amit Srivastava

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गोरखपुर विश्वविद्यालय और जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर से अध्ययन. Amit Srivastava अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक हिंदुस्तान के साथ करीब डेढ़ दशक तक जुड़े रहे. गोरखपुर शहर से जुड़े मुद्दों पर बारीक नज़र रखते हैं.

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