रेलवे की ग्रुप डी परीक्षा में मंगलवार को गोरखपुर में सॉल्वरों का गैंग दबोचा गया
स्वास्तिक ऑनलाइन सेंटर/File Photo |
Go Gorakhpur : रेलवे की ग्रुप डी परीक्षा में मंगलवार को गोरखपुर में सॉल्वरों का गैंग दबोचा गया. ग्रुप डी परीक्षा में सॉल्वर कोई पहली बार नहीं पकड़े गए. लेकिन इस बार एक सॉल्वर ने जो खुलासे किए हैं वह हैरान करने वाले हैं. परीक्षा केंद्र में किसी दूसरे अभ्यर्थी के नाम पर एंट्री आखिर कैसे पा जाते हैं सॉल्चर? एसटीएफ की पूछताछ में सॉल्वर गैंग ने यह राज़ खोल दिया. आइए, जानते हैं कि हुआ क्या?
मंगलवार को रेलवे की ग्रुप डी की परीक्षा शहर में कई ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों पर चल रही थी. एसटीएफ को रेलवे ग्रुप डी की परीक्षा में, नौसढ़ स्थित स्वास्तिक ऑनलाइन सेंटर में सॉल्वर के बैठने की सूचना मिली थी. इंस्पेक्टर सत्य प्रकाश सिंह के नेतृत्व में टीम ने स्वास्तिक ऑनलाइन सेंटर नौसढ़ स्थित केन्द्र के बाहर से तीन युवकों को गिरफ्तार किया. उनसे पूछताछ में पता चला कि स्वास्तिक ऑनलाइन सेंटर में मूल अभ्यर्थी मिथिलेश कुमार के स्थान पर सॉल्वर रंजीत कुमार बैठकर परीक्षा दे रहा है. सॉल्वर रंजीत कुमार को परीक्षा केन्द्र के अंदर से टीम ने दबोचा तो वहीं उसके तीन साथी केन्द्र के बाहर मिल गए. यहां से एसटीएफ ने सॉल्वर गैंग के आठ लोगों को गिरफ्तार किया. जबकि तीसरी पाली में भी चार लोग दबोचे गए. सॉल्वर से पूछताछ में पता चला कि पांच लाख में यह सौदा हुआ था. एसटीएफ ने उनके खिलाफ गीडा थाने में केस दर्ज कराया है.
प्रति अभ्यर्थी 5 लाख रुपये में सौदा तय होता था: बिहार के मूल निवासी रंजीत कुमार ने बताया कि पूर्व में वह ईसीआरसी पद पर लखनऊ में कार्यरत था. स्वास्तिक आनलाइन सेंटर नौसढ़ में मिथिलेश कुमार की जगह पर परीक्षा देने आया था. उसने बताया कि वह लखनऊ चंडीगढ़, प्रयागराज, उत्तराखंड आदि कई स्थानों पर साल्वर के रूप में दूसरे परीक्षार्थियों के स्थान पर परीक्षा दे चुका है. उसके पास से एसटीएफ ने विग और मेकअप के अन्य सामान बरामद किए हैं. उसने बताया कि अभ्यर्थियों के रंग रूप के हिसाब से चेहरे का मेकअप करता था और सिंथेटिक एडहेसिव (फेविकोल) से अभ्यर्थियों के अंगूठे की छाप तैयार करता था. फोटोशाप के माध्यम से अभ्यर्थियों के फोटो के स्थान पर अपना फोटो मिक्स करके लगा देता है. गिरफ्तार अखिलेश्वर सिंह ने बताया कि वह अभ्यर्थियों की तलाश करता था. परीक्षा में नियुक्ति होने के बाद प्रति अभ्यर्थी 5 लाख रुपये में सौदा तय होता था. इसमें उसका कमीशन 2 लाख था. मिथिलेश कमार ने वताया कि परीक्षा में पास कराकर नियुक्ति की बात तय हुई थी. नियुक्ति के बाद 5 लाख रुपये अखिलेश्वर सिंह को देना था. रामनरेश ने बताया कि वह रंजीत कुमार का सहयोगी है.
एसटीएफ ने इन्हें किया है गिरफ्तार : रंजीत कुमार पुत्र राम प्रसाद राम निवासी मोहल्ला गाड़ीखाना, पोस्ट व थाना खगौल, जनपद पटना, बिहार. वर्तमान पता मकान संख्या – टी/डी सिटी रेलवे कालोनी, लखनऊ (साल्वर), अखिलेश्वर सिंह, पुत्र स्व० श्याम बहादुर सिंह, निवासी ग्राम व पोस्ट अहिरौली वघेल, थाना बनकटा, जनपद देवरिया. वर्तमान पता पादरी बाजार, गोरखपुर. मिथिलेश कुमार पुत्र मातादीन, निवासी ग्राम बहरामपुर, पोस्ट भैसहां, थाना खोराबार, जनपद गोरखपुर. (परीक्षार्थी), रामनरेश पुत्र सुन्दर लाल यादव, निवासी ग्राम हीहुरा, पोस्ट मलिक मऊचौवारा, जिला रायबरेली.