विकास भवन पर राज्यकर्मचारी संयुक्त परिषद की आपात बैठक |
GO GORAKHPUR: प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों की पुरानी पेंशन न बहाल करने की बात कही है. केंद्र सरकार भी इस मुद्दे पर चुप है. इन स्थितियों में कर्मचारियों के समक्ष करो या मरो का ही रास्ता बचता है. लखनउ व दिल्ली में हालिया प्रदर्शन के बाद वे अब बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं.
उक्त विचार राज्यकर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष रूपेश कुमार श्रीवास्तव ने आज यहां एक प्रेसविज्ञप्ति के माध्यम से व्यक्त किया. वे एक आपात बैठक को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने विधान सभा में माननीय वित्त मंत्री सुरेश खन्ना जी द्वारा दिए गए बयान को काफी कष्टप्रद करार दिया जिसमें उन्होंने कहा है कि पुरानी पेंशन देने का सरकार का कोई विचार नहीं है ,इससे अर्थ व्यवस्था खराब होगी.
आपात बैठक विकास भवन पर बुलाई गई थी.बैठक की अध्यक्षता गोविंद श्रीवास्तव कर रहे थे. अर्थव्यवस्था बिगड़ने के प्रश्न पर कर्मचारी नेताओं ने ठोस तर्क रखा और कहा कि पेंशन के दायरे में देश के पूर्व प्रधानमंत्री , मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक आदि हैं. उन्हें पुरानी पेंशन दी जा रही है.उनमें से कइयों को चार चार पेंशन मिल रही है.क्या इससे अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ रहा है.
माननीयों को तमाम तरह के भत्ते दिए जाते हैं. क्या इससे अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ता. कर्मचारी नेताओं का कहना है कि पेंशन लेने वाले माननीयों में फिल्म स्टार, क्रिकेटर, उद्योगपति भी शामिल हैं. उनकी माली हालत अरबपतियों की है.पेंशन गुजारा के वास्ते है जबकि इन्हें लेने वाले ये माननीय सक्षम हैं.उन्हें पेंशन देने से देश की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रतिकूल असर नहीं पड़ रहा हैं. क्या यह उनके लिए नैतिक है,क्या यह उनके गुजारे के लिए जरुरी है.उन्हें प्रदान की जाने वाली पेंशन की यह राशि आयकर दायरे में भी नहीं आती जबकि समान्यत:हर पेंशन धारक कर्मचारी को आयकर दायरे में रहना होता है.
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि अर्थव्यवस्था पर बोझ पड़ने की असली वजह यह है. इन कारणों को कर्मचारी समाज सौतेला व्यवहार और उत्पीड़न के रुप में देखता है.अब वह इसे बरदास्त करने की मनोदशा में नहीं है. कर्मचारी नेताओं ने कहा कि अब कर्मचारियों को भी अपनी रोटी और भविष्य के लिए लड़ना ही पड़ेगा. आने वाले दिनों में करो या मरो की तर्ज पर संघर्ष होगा. विरोध में विभिन्न बड़े कायकर्म होंगे. रेल का चक्का भी जाम होगा और देश व्यापी हड़ताल होगी. कर्मचारी समाज आंदोलन का एक नया इतिहास लिखने की तैयारी में है. उसे पुरानी पेंशन किसी कीमत पर चाहिए. अगर पुरानी पेंशन नहीं मिली तो सरकार को जाना ही होगा.
आपात बैठक को संबोधित करने वालों में अनुपम पांडे, गोविंद जी, इजहार अली, राजेश सिंह, कनिष्क गुप्ता, मदन मुरारी शुक्ला, अशोक पांडे, श्याम नारायण शुक्ला, अशोक पाठक, फुलई पासवान, विजय शर्मा, विनीता सिंह आदि शामिल थे.
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