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गोरखपुर पुलिस

रूस से पढ़ी डॉक्टरी, गोरखपुर में अस्पताल खोल मरीजों को लगा लूटने, पहुंचा हवालात

रूस से ली डॉक्टरी की डिग्री, धंधा-मरीजों से धोखाधड़ी और मनमानी वसूली, गिरफ्तार

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रूस से पढ़ी डॉक्टरी, गोरखपुर में अस्पताल खोल मरीजों को लगा लूटने, पहुंचा हवालात
रूस से पढ़ी डॉक्टरी, गोरखपुर में अस्पताल खोल मरीजों को लगा लूटने, पहुंचा हवालात

  • गोरखपुर के अर्पित हॉस्पिटल का संचालक प्रवीण सिंह पहुंचा सलाखों के पीछे
  • भारत में डॉक्टरी के लिए ज़रूरी परीक्षा नहीं की पास, खोल लिया अस्पताल
  • बिहार निवासी डॉक्टर की डिग्री पर करीमनगर में चला रहा था हॉस्पीटल

Gorakhpur: गोरखपुर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए अर्पित हॉस्पिटल के संचालक प्रवीण सिंह को गिरफ्तार किया है. प्रवीण पर गंभीर आरोप हैं, जिनमें मरीजों के साथ धोखाधड़ी, गलत इलाज, और यहां तक कि जान से मारने की धमकी देना भी शामिल है. यह हॉस्पिटल गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के ठीक पास, चिलुआताल क्षेत्र के करीमनगर में स्थित है.

इस मामले की शुरुआत तब हुई, जब देवरिया जिले के सलेमपुर की रहने वाली लक्ष्मी देवी ने पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई. उन्होंने बताया कि 17 जनवरी को उनके बच्चे की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी. वह अपने बच्चे को इलाज के लिए 108 एम्बुलेंस से बीआरडी मेडिकल कॉलेज लेकर गईं, लेकिन वहां उन्हें बताया गया कि वेंटिलेटर खाली नहीं है. इसी समय, अमन गुप्ता नाम के एक दलाल ने उनसे संपर्क किया और उन्हें अपने झांसे में लेकर, बेहतर इलाज का लालच देकर, अर्पित हॉस्पिटल में भर्ती कराने के लिए मना लिया.

लक्ष्मी देवी के अनुसार, अर्पित हॉस्पिटल में उनके बच्चे की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ. जब उन्होंने बच्चे को किसी दूसरे अस्पताल में ले जाने की बात कही, तो अस्पताल के कर्मचारियों ने उन्हें धमकी दी कि बच्चे को गलत इंजेक्शन लगाकर जान से मार देंगे. इस घटना के बाद डरी सहमी लक्ष्मी देवी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.

पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए जांच शुरू कर दी. जांच में पता चला कि डॉ. प्रवीण सिंह रूस से डॉक्टरी की पढ़ाई करके आए हैं, लेकिन भारत में प्रैक्टिस करने के लिए जो अनिवार्य परीक्षा होती है, वह उन्होंने पास नहीं की है. इस वजह से उनकी डिग्री भारत में मान्य नहीं है, और वह कानूनी रूप से डॉक्टर नहीं हैं. इसके बावजूद, उन्होंने बिहार के एक डॉक्टर की डिग्री के आधार पर अपना हॉस्पिटल रजिस्टर कराया और चला रहे थे.

पुलिस ने यह भी पाया कि प्रवीण सिंह और उसके हॉस्पिटल के कर्मचारी सरकारी अस्पतालों से मरीजों को बहला-फुसलाकर अपने हॉस्पिटल में लाते थे. इसके लिए उन्होंने एक पूरा नेटवर्क बना रखा था, जिसमें दलाल, एम्बुलेंस चालक, और यहां तक कि मेडिकल कॉलेज के कुछ कर्मचारी भी शामिल थे. ये लोग मरीजों को कम खर्च में बेहतर इलाज का झांसा देकर अर्पित हॉस्पिटल में भर्ती कराते थे, और फिर उनसे मोटी रकम वसूलते थे. अगर कोई मरीज पैसे देने से मना करता था, तो उसे डराया-धमकाया जाता था.

गुलरिहा थाना प्रभारी जीतेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि प्रवीण सिंह के हॉस्पिटल का मैनेजर तुषार टेकड़ीवाल भी इस गोरखधंधे में शामिल था. वह दलालों के संपर्क में रहकर मरीजों को हॉस्पिटल में लाने का काम करता था. पुलिस ने तुषार टेकड़ीवाल, 108 एम्बुलेंस चालक, ईएमटी, और दलाल अमन गुप्ता को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. अब डॉ. प्रवीण सिंह की गिरफ्तारी से इस पूरे मामले की परतें खुलने की उम्मीद है. पुलिस का कहना है कि इस मामले में अभी और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं, और कई निजी एम्बुलेंस चालक और दलाल उनकी रडार पर हैं.

साक्ष्य मिलने पर हॉस्पिटल संचालक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. मरीजों की खरीद बिक्री में लिप्त कई और निजी एंबुलेंस चालक और दलालों की तलाश चल रही है. बहुत जल्द इस धंधे में लिप्त लोगों को पकड़ लिया जाएगा. — अभिनव त्यागी, एसपी सिटी, गोरखपुर

गो गोरखपुर ब्यूरो

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