वेदानंद महाराणा प्रताप कृषक इंटर कॉलेज, जंगलधूसड़ में शिक्षक हैं

GO GORAKHPUR:एक शिक्षक के खाते से जालसाज ने उनकी गाढ़ी कमाई की बड़ी रकम उड़ा दी है.संभव है कि शिक्षक तकनीक की दुनिया से गाफिल हों लेकिन एटीएम और क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल की सामान्य बातों से भी वे गाफिल थे नतीजतन साइबर आपराधी उनके साथ धोखा करने में कामयाब रहा. शिक्षक के साथ ठगी की घटना कुछ इस तरह घटित हुई.
साइबर ठगी-1
वेदानंद महाराणा प्रताप कृषक इंटर कॉलेज, जंगलधूसड़ में शिक्षक हैं तथा महानगर के शाहपुर में निवास करते हैं. बीते फरवरी में उनके पास एक मोबाइल काल आई. काल करने वाले ने उनसे उनका क्रेडिट कार्ड ब्लॉक करवाने की पेशकश की. उसने इन्हें एक लिंक साझा किया और कहा कि उस लिंक के सहारे आप अपना क्रेडिट कार्ड बंद करा सकते हैं. संभव है शिक्षक वेदानंद उसकी चालांकी नहीं समझ पाये और लिंक पर आए विवरण को भरकर भेज दिया. तीसरे दिन साइबर अपराधी ने उन्हें उनके मोबाइल फोन पर फोन किया. फोन काल रिसीव करते ही उनके पादरीबाजार स्थित भारतीय स्टेटबैंक के खाते से रुपये डेविट होने के फटाफट संदेश आने लगे. इस तरह उनके खाते से देखते ही देखते 1.20 हजार रुपये डेविट हो गए. मोबाइल पर इतनी बड़ी धनराशि के उड़ जाने का संदेश पाकर शिक्षक वेदानंद के होश उड़ गए. हैरान शिक्षक ने बैंक और साइबर पुलिस से शिकायत की. माह बीत गया और संबंधित संस्थाओं की तरफ से उनकी जब कोई मदद नहीं हो पाई तो मुख्यमंत्री के जनता दरबार में उन्होंने प्रार्थना पत्र देकर मदद की गुहार लगाई. प्रार्थनापत्र में ही उन्होंने उपरोक्त आपबीती बताई है.  
शाहपुर थाना पुलिस ने जनता दरबार में किए आवेदन  के आधार पर मुकदमा कायम कर लिया है और जांच कर रही है. 
साइबर ठगी-2
त्रिगुणा नारायण सिंह, शाहपुर इलाके के राप्तीनगर फेज फोर, चरगावां के निवासी हैं. चार दिन पहले वे एक एटीएम पर कार्ड से रुपये निकालने पहुंचे थे. इसी बीच  किसी ने एटीएम कार्ड बदल लिया. इस बात की जानकारी उन्हें तब हुई जब उनके खाते से मार्केटिंग किए जाने के संदेस मिले. उनके खाते से किसी जगदंबा सुपर मार्केट के नाम से खरीदारी की गई. इस खरीदारी में खरीदार ने 45 हजार रुपये का उन्हें चूना लगाया है. 
उन्होंने इस बात की लिखित शिकायत बैंक और साइबर पुलिस से की है. बुधवार को एसपी क्राइम के आदेश पर शाहपुर पुलिस ने केस दर्ज किया और इस मामले की भी जांच शुरू कर दी है.
साइबर क्राइमः सावधानी हटी कि दुर्घटना घटी
यह सूत्र वाक्य यूं तो जीवन के किसी क्षेत्र के लिए उपयुक्त है परंतु गौर करें तो ‘साइबर क्राइम की इन दोनो घटनाओं के खांचे में यह ज्यादा फिट बैठता है. हालांकि संभव है कि घटनाओं के बाद दोनो भुक्तभोगी उसी निष्कर्ष पर पहुंचे हों जहां हम-आप पहुंचे हैं. 
क. नहीं करना  चाहिए
  • अध्यापक महोदय को अज्ञात व्यक्ति द्वारा प्रेषित ‘‘लिंक‘‘ पर यकीन नहीं करना चाहिए था. उन्होंने कोई जानकारी इस ‘‘लिंक‘‘ के माध्यम से साझा नहीं करनी चाहिए थी. 
  •  अज्ञात मोबाइल नंबरों से आई मोबाइल काल को अटेंड न करें.
  •  संभव हो तो बैंक खाते से जुड़े मोबाइल नंबर का उपयोग अज्ञात व्यक्ति अथवा अज्ञात नंबर के प्रतिउत्तर के लिए कत्तई न करें. यह सौ  प्रतिशत जोखिम भरा है.
  •  बैंक हमें अपना ‘‘पिन‘‘ अथवा ‘‘ओटीपी‘‘ अथवा किसी तरह की ‘‘बैंक खाते से संबंधित कोई सूचना‘‘ साझा नहीं करने की हिदायत एसएमएस संदेश के माध्यम से बराबर भेजते रहतें हैं. इसका अनुसरण जरूर करतें रहना चाहिए.
ख. एटीएम कार्ड का उपयोग-सावधानियां
  •  पैसा निकालते समय अपने आगे वाले व्यक्ति को पैसा निकालने का पूरा समय दें जल्दीबाजी न करें. अपनी बारी की  प्रतीक्षा करें.
  •  अगर कोई अनजान व्यक्ति आपके करीब आए तो आपकी निजता के भंग होने का खतरा बढ़ जाता है. उनसे दूरी बनाएं अथवा उनसे विनयपूर्वक दूरी बनाए रखने का आग्रह करें. उलझें नहीं. फिर भी अगर वह न मानें तो आप किसी दूसरे एटीएम पर चले जाएं या उनके हटन की प्रतीक्षा कर लें.
  •  ‘‘एटीएम पिन‘‘ कार्ड अथवा किसी जगह अंकित करके न रखें. इसे याद रखना ही सुरक्षित विकल्प है. जन्म तिथि, गाड़ी नंबर जैसे नंबरों को एटीएम पिन नही बनाएं.
  •  उस होशियारी को समझने का प्रयास करें जिसके तहत ‘‘ठग‘‘ ने धारक के कार्ड को दूसरे कार्ड से बदलने में कामयाबी हासिल की. सोचिए लापरवाही कहां हुई. 
साइबर क्राइम की राजधानी जामताराः कुछ रोचक तथ्य
देश की साइबर क्राइम की राजधानी है जामतारा. यह झारखंड प्रदेश का एक जिला है. जिले में आदिवासियों का एक उपनगर है ‘‘करमातंड‘‘. यहां 19वीं सदी के प्रकांड समाजसुधारक व विद्वान ईश्वर चंद विद्यासागर ने आदिवासी कन्याओं को शिक्षित करने में 18 वर्ष तक साधना की. अफसोस आज वही जामतारा साइबर अपराधियों की राजधानी बना हुआ है.
जामतारा से साइबर क्राइम पर काबू पाने के लिए 2018 में साइबर थाना बनाया गया था. तब से अब तक 250 से ज्यादा साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन इसके बावजूद साइबर ठगी का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ है. मुख्य कारण यह है कि जमानत पर छूटने के बाद अपराधी फिर से इस धंधे को संचालित करने लगते हैं.
पिछले छह से सात सालों में साइबर अपराधियों की तलाश और साइबर क्राइम के मामलों की जांच के लिए देश के हर राज्य से पुलिस जामतारा पहुंच चुकी है. 
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By गो गोरखपुर

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