बतकही-गो गोरखपुर बतकही

आख़िरी वक़्त में क्या ख़ाक…

कुछ बुजुर्ग रोज़ टहलने में मिलते हैं. मुलाक़ात का समय मौसम पर निर्भर करता है. गर्मियों में यथासंभव सुबह और शरद ऋतु में थोड़ा देर से. उनसे अक्सर बातें होती रहती हैं. बड़े ज़िंदादिल लोग हैं, लेकिन उनकी चिंताएं भी कम नहीं….

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