लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को जल्द ही महंगाई का झटका लग सकता है। पॉवर कॉर्पोरेशन ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए विद्युत दरों में करीब 30 फीसदी की भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में दाखिल किया है। कॉर्पोरेशन ने अपने प्रस्ताव में 19600 करोड़ रुपये का भारी घाटा दर्शाया है, जिसके चलते बिजली की दरों में यह वृद्धि प्रस्तावित की गई है।
पॉवर कॉर्पोरेशन द्वारा बिजली की दरें बढ़ाने के इस प्रस्ताव का ऊर्जा और उपभोक्ता संगठनों ने कड़ा विरोध किया है। संगठनों ने निजी घरानों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाते हुए इस वृद्धि को अनुचित बताया है। पॉवर कॉर्पोरेशन ने सोमवार को नियामक आयोग में संशोधित वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) प्रस्ताव पेश किया। इससे पहले दाखिल किए गए एआरआर में 9200 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया गया था, लेकिन अब यह घाटा बढ़कर लगभग दोगुना हो गया है।
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प्रस्ताव में कॉर्पोरेशन ने पिछले चार वर्षों के दौरान अपने बढ़ते खर्च और राजस्व में धीमी वृद्धि का हवाला दिया है। बताया गया कि इस अवधि में कॉर्पोरेशन और डिस्कॉम का खर्च 8.3 प्रतिशत की दर से बढ़ा है, जबकि राजस्व में केवल 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके परिणामस्वरूप, प्रतिवर्ष नकदी का अंतर 12.4 प्रतिशत की दर से बढ़ता गया है। वर्ष 2020-21 में यह राजस्व अंतर 30447 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2024-25 में बढ़कर 48515 करोड़ रुपये हो गया है। अनुमान है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में यह नकदी का अंतर लगभग 54530 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। पिछले एक वर्ष में ही नकदी के इस अंतर में 23.5% की वृद्धि हुई है, और बैंकों से लिया गया कर्ज भी 28% बढ़ गया है।
लेखा-जोखा में यह भी बताया गया कि विद्युत कंपनियां बिलों के सापेक्ष केवल 88 फीसदी वसूली ही कर पाई हैं। इसके चलते, राज्य सरकार द्वारा दी गई सब्सिडी के बावजूद राजस्व का अंतर वर्ष 2023-24 के 4378 करोड़ रुपये से बढ़कर 13542 करोड़ रुपये हो गया है। आशंका जताई गई है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में यह घाटा और बढ़कर 19600 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
पॉवर कॉर्पोरेशन ने अपने प्रस्ताव में यह भी कहा है कि बिजली बिलों की 100 प्रतिशत वसूली को आधार मानकर विद्युत दरों को तय करना अव्यावहारिक है। ट्रांसफॉर्मरों के खराब होने की दर 10 प्रतिशत से अधिक है। बिल वसूली अभियान चलाने के बाद भी लगभग 54 लाख उपभोक्ताओं ने एक बार भी बिजली का बिल नहीं भरा है, और कुल बकाया राशि 36353 करोड़ रुपये है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन और डिस्कॉम्स का कुल खर्च 107209 करोड़ रुपये था, जबकि राजस्व केवल 67955 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुआ था, जिससे 39254 करोड़ रुपये का कैश गैप रहा।
इस अंतर को पूरा करने के लिए सरकार ने 19494 करोड़ रुपये की सब्सिडी और 13850 करोड़ रुपये की मदद दी, फिर भी 5910 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज लेना पड़ा। इसी तरह, वित्तीय वर्ष 2024-25 में कॉर्पोरेशन और डिस्कॉम्स का कुल खर्च 110511 करोड़ रुपये रहा, जबकि राजस्व में पिछले वर्ष से 8 प्रतिशत की कमी आई और यह केवल 61996 करोड़ रुपये रहा।
अब यह देखना होगा कि विद्युत नियामक आयोग पॉवर कॉर्पोरेशन के इस प्रस्ताव पर क्या निर्णय लेता है, लेकिन फिलहाल इस प्रस्ताव ने प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं पर महंगी बिजली का खतरा मंडरा दिया है।