The Mahabeer Jute mill

Gorakhpur: गोरखपुर और प्रदेश की पहचान दी महाबीर जूट मिल लगातार घाटे में चलने के कारण दिसंबर में बंद हो जाएगी. प्रबंधन ने मिल के नोटिस बोर्ड पर इस आशय का संदेश चस्पा कर दिया है. मिल बंद होने से करीब एक हजार लोगों का रोजगार छिन जाएगा.

सहजनवा कस्बे में 14 अक्टूबर 1935 में दी महाबीर जूट मिल की स्थापना हुई थी. मिल में जूट का उत्पादन शुरू हुआ था. यहां आठ-आठ घंटे की तीन शिफ्ट में कर्मचारी काम करते हैं। पिछले एक दशक से लगातार मिल करोड़ों रुपये के घाटे में चली गई है, जिसकी वजह से प्रबंधन ने जूट मिल बंद करने का फैसला लिया है. प्रबंधन के अनुसार कर्मियों का हिसाब कर उन्हें कार्य मुक्त किया जाएगा। इस संबंध में उन्हें नोटिस दी जा चुकी है.

प्रबंधन की ओर से जारी नोटिस के अनुसार प्रदेश में संचालित जूट मिल बंद हो चुकी है. साल 2014-15 से प्लास्टिक व कागज का उपयोग बढने के कारण जूट की मांग काफी कम हो गई है. इससे मिल लगातार घाटे में जा रही है. हालांकि कोरोना के समय वर्ष 2020-21 में मिल को एक करोङ दस लाख का लाभ भी हुआ था.

उधर, मिल बंद होने का नोटिस मिलने के बाद यहां कार्यरत लोगों के चेहरे मुरझा गए हैं. मिल बंदी से करीब एक हजार श्रमिक बेरोजगार हो जाएंगे. प्रबंधन का कहना है कि एक दशक से लगातार घाटे में चल रही मिल को प्रबंधन ने किसी तरह दस वर्ष चलाया, लेकिन अब ज्यादा देनदारी मिल प्रबंधन को भारी पड़ रही है. इसके चलते प्रबंधन ने बैठक कर जूट मिल को आठ दिसंबर 2024 को स्थाई रूप से बंद करने का निर्णय ले लिया है.

घाटे में चल रही जूट मिल को किसी तरह धागा मिल के मुनाफे से दस साल तक चलाया गया, लेकिन लगातार बढ़ रहे बोझ से अब जूट मिल को संचालित करना मुश्किल हो रहा है. धागा मिल संचालित होती रहेगी. दिसंबर में जूट मिल बंद हो जाएगी.
-धीरज मस्करा, मुख्य कार्यपालक अधिकारी, दी महाबीर जूट मिल

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By गो गोरखपुर

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