Aiims Gorakhpur: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), गोरखपुर के दंत रोग विभाग ने एक चमत्कारिक सर्जरी करके 12 साल से बंद मुंह वाली 22 वर्षीय युवती को नया जीवन दिया है। यह जटिल ऑपरेशन ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉ. शैलेश कुमार और उनकी टीम ने महज 3 घंटे में पूरा किया। यह सर्जरी न केवल एम्स गोरखपुर के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि इस क्षेत्र के मरीजों के लिए भी एक आशा की किरण साबित हुई है।
12 साल से केवल तरल आहार पर थी युवती
गोरखपुर जिले के बेलघाट निवासी 22 वर्षीय युवती पिछले 12 साल से कान के घाव और उसके ऑपरेशन के बाद हुई जटिलता से पीड़ित थी। धीरे-धीरे उसके सिर और निचले जबड़े की हड्डी आपस में जुड़ गई, जिससे वह मुंह खोलने में असमर्थ हो गई। इस वजह से वह केवल तरल आहार पर निर्भर थी और कुपोषण का शिकार हो गई थी। कई अस्पतालों और डॉक्टरों से परामर्श के बाद भी राहत न मिलने पर युवती के पिता ने एम्स गोरखपुर में दंत रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शैलेश कुमार से संपर्क किया।
जटिल सर्जरी की प्रक्रिया, बेहोशी की चुनौती
जांच और स्कैन के बाद पता चला कि मरीज के खोपड़ी की हड्डी और निचले जबड़े की हड्डी पूरी तरह से जुड़ चुकी थी। सामान्यत: ऐसे ऑपरेशन में 5-6 घंटे का समय लगता है, लेकिन डॉक्टरों ने एक नई तकनीक अपनाकर केवल 3 घंटे में सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया। ऑपरेशन के दौरान चेहरे की नसों को सुरक्षित रखते हुए जुड़ी हुई हड्डी को निकाला गया। हड्डी दोबारा न जुड़े, इसके लिए मरीज के सिर के अंदर से फैट का एक हिस्सा काटकर जबड़े के जॉइंट में डाला गया। इस प्रक्रिया को “इंटरपोजीशनल आर्थोप्लास्टी” कहा जाता है। ऐसे मामलों में बेहोशी देना एक बड़ी चुनौती होती है, क्योंकि मरीज का मुंह पूरी तरह से बंद था। इस कारण निश्चेतना विभाग की टीम ने नाक के जरिए फाइबर ऑप्टिक स्वास नली डालकर बेहोशी देने की प्रक्रिया पूरी की।
एम्स निदेशक ने की टीम की सराहना
एम्स निदेशक एवं सीईओ मेजर जनरल (डॉ.) विभा दत्ता को दंत रोग विभाग द्वारा इस विशेष ऑपरेशन की जानकारी दी गई। उन्होंने डॉ. शैलेश कुमार एवं उनकी टीम को बधाई देते हुए कहा कि यह एम्स गोरखपुर के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने यह भी कहा कि एम्स गोरखपुर में अब इस तरह की जटिल सर्जरी संभव हो गई है, जिससे मरीजों को दिल्ली या लखनऊ जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
इस जटिल ऑपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा करने वाली टीम में शामिल थे: मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉ. शैलेश कुमार, सहयोगी सर्जन डॉ. प्रवीण सिंह (सीनियर रेजिडेंट), डॉ. सौरभ सिंह (जूनियर रेजिडेंट) और निश्चेतना विभाग के प्रोफेसर डॉ. संतोष कुमार शर्मा, डॉ. शफाक (सीनियर रेजिडेंट), डॉ. अभिषेक (एकेडमिक जूनियर रेजिडेंट)।
डॉ. शैलेश कुमार ने बताया कि सही समय पर उचित इलाज मिलने से इस तरह के जटिल ऑपरेशन से बचा जा सकता है। उन्होंने आम जनता से अपील की कि चेहरे की किसी भी चोट या समस्या को नज़रअंदाज़ न करें और हमेशा ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जन से परामर्श लें, क्योंकि वे ऐसे मामलों के सुपरस्पेशलिस्ट होते हैं।
ऑपरेशन के बाद मरीज की हालत स्थिर है, और वह एम्स गोरखपुर के ओएमएफएस वार्ड में डॉक्टरों की निगरानी में है। इस सर्जरी से युवती के चेहरे की विकृति, सांस की समस्या (OSA) एवं मानसिक दुष्प्रभावों को रोकने में मदद मिली है। यह सफल ऑपरेशन न केवल एम्स गोरखपुर के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि इस क्षेत्र के मरीजों के लिए भी एक आशा की किरण साबित हुआ है।