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New Year 2024: परिवार के साथ नये साल का जश्न मनाना है तो ये जगहें हैं खास

रात के वक्त रामगढ़ झील का मनमोहक नज़ारा.
रात के वक्त रामगढ़ झील का मनमोहक नज़ारा.
रात के वक्त रामगढ़ झील का मनमोहक नज़ारा | Photo: Go Gorakhpur (file)

Countdown to New Year 2024: नये साल 2024 के आगमन में महज कुछ दिन बचे हैं. खट्टी मीठी स्मृतियों के साथ साल 2023 का कैलेंडर ​दीवारों से उतरने को है. इस मौके को खास बनाने के लिए जहां शहरवासी घूमने फिरने का कार्यक्रम बना रहे हैं तो वहीं गोरखपुर में बड़ी संख्या में बाहर से पर्यटक आते हैं. इस बार यहां खास आकर्षक रामगढ़ झील पर क्वीन क्रूज़ है. गोरखपुर और आसपास पिकनिक और भ्रमण के लिए और कौन सी जगहें खास हैं, आइए डालते हैं एक नज़र…

पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र गोरखनाथ मंदिर
गोरखनाथ मंदिर पूर्वाचल के लोगों की आस्था का केंद्र है. यहां पूरे साल श्रद्धालु बाबा गोरखनाथ का दर्शन-पूजन करने पहुंचते रहते हैं लेकिन जनवरी माह खास हो जाता है. नए साल के पहले दिन यहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. बाबा का दर्शन-पूजन करने के साथ ही मेले का आनंद उठाते हैं. गोरखनाथ मंदिर पर मकर संक्रांति के दिन से एक माह तक मेला लगता है.

पर्यटकों के लिए आकर्षण बनी मनोहारी रामगढ़ झील
गोरखपुर के सबसे लोकप्रिय स्थलों में शामिल नौकायन केंद्र इस बार नये साल के आगमन पर क्वीन क्रूज के साथ पर्यटकों के स्वागत के लिए तैयार है. यहां सुरक्षा के इंतजाम अभी से कर दिए गए हैं. नए साल पर नौका और स्पीड बोट की सवारी का रोमांच महसूस करने के लिए 50 हजार के करीब लोगों के पहुंचने की उम्मीद है.

तरकुलहा देवी मंदिर पर रहता है मेले जैसा माहौल
गोरखपुर जिला मुख्यालय से तकरीबन 25 किमी दूर गोरखपुर-देवरिया मार्ग पर स्थित तरकुलहा देवी मंदिर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पूरे साल उमड़ती है लेकिन नए साल के पहले दिन और चैत्र नवरात्रि में यहां भीड़ ज्यादा होती है. यहां एक माह तक मेला चलता है. लोग मां तरकुलहा देवी का दर्शन करने पहुंचते हैं.

शहीद अशफाक उल्लाह खां प्राणी उद्यान
रामगढ़ ताल परियोजना क्षेत्र में रामगढ़ झील के किनारे स्थित शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान पयर्टकों के लिए आकर्षण का बड़ा केंद्र बन गया है. गोरखपुर-देवरिया बाइपास पर स्थित प्राणी उद्यान में आम दिनों में भी भारी भीड़ पहुंचती है. यहां क्रिसमस से लेकर नये साल के आगमन तक पर्यटकों की खूब आवाजाही रहती है. पिछले वर्ष ​अकेले क्रिसमस पर 16500 टिकट बिके थे.

महराजगंज : सोहगीबरवा जंगल सफारी
महराजगंज में सोहगीबरवा का जंगल सफारी पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र बन गया है. यहां जाने के लिए गाड़ियां बुक की जा रही है. 31 दिसंबर के लिए ऑनलाइन बुकिंग की जा रही है. यहाँ पहुंचने के लिए महराजगंज से 12 किमी दूर चौक बाजार और फिर डेढ़ किमी दूरी पर सोहगीबरवा जंगल सफारी का प्रवेश द्वार है.

कुशीनगर : बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली
भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में एक जनवरी को मेला लगता है. वर्ष के पहले दिन यहां महा परिनिर्वाण मंदिर के अलावा, रामाभार स्तूप, माथाकुंवर मंदिर व हिरण्यवती नदी देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी आते हैं. हिरण्यवती नदी अब सदानीरा बन गई है.

कपिलवस्तु : भगवान बुद्ध की कीड़ास्थली 
सिद्धार्थनगर जिले में भगवान बुद्ध की कीड़ास्थली कपिलवस्तु स्थित है. यह स्थल देश ही नहीं दुनिया भर के पर्यटकों के लिए काफी मायने रखता है. यहां बुद्ध को मानने वालों की काफी संख्या पहुंचती है. नए साल का जश्न मनाने के लिए शहर ही नहीं जिले के दूसरे हिस्सों से भी लोग पहुंचते हैं. सिद्धार्थनगर जिला लय से कपिलवस्तु की दूरी 18 किमी है.

संतकबीरनगर स्थित कबीर स्थली
महान संत कबीर की निर्वाण स्थली मगहर पर्यटन के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है. यहां भी देश ही नहीं दुनिया भर से भारी संख्या में पर्यटक पूरे वर्ष आते रहते हैं. यहां सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है. लखनऊ-गोरखपुर हाईवे पर मगहर स्टैंड है. यहां उतरने के बाद ई-रिक्शा अथवा ऑटो से आसानी से पहुंच जाते हैं. ट्रेन से आने वाले पर्यटकों को खलीलाबाद उतरना पड़ता है.

बस्ती जिले में प्रभु राम से जुड़ा मखौड़ा धाम
बस्ती-अयोध्या फोरलेन पर हरैया कस्बे से दक्षिण की तरफ तकरीबन 15 किमी दूर स्थित मखौड़ा धाम प्रभु श्रीराम से जुड़ा ऐतिहासिक स्थल है. यहाँ राजा दशरथ ने महर्षि वशिष्ठ की सलाह पर ऋषि श्रृंगी की मदद से पुत्रेष्टि यज्ञ किया था. नजदीकी रेलवे स्टेशन बभनान है. बभनान से परशुरामपुर होते हुए सड़क मार्ग से 30 किमी की दूरी तय कर पावन मखौड़ा धाम आसानी से पहुंचा जा सकता है.

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