पोद्दार के मित्र और सहयोगी राधा बाबा ने बच्चन को किया था प्रभावित
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Gorakhpur: हरिवंशराय बच्चन की रचना मधुशाला ने उन्हें 1930 के दशक में मशहूर कर दिया था. वह हर घर में जाने पहचाने जाते थे. ‘मधुशाला’ लिखने वाले बच्चन साहब की मुलाकात जब हनुमान प्रसाद पोद्दार से हुई, तब हनुमान प्रसाद पोद्दार गीता प्रेस और कल्याण की पहचान को ‘संयुक्त प्रांत’ के दायरे से बाहर ले जाने में जुटे हुए थे. बच्चन अपने लेखन की पहचान ‘मधुशाला’ तक सीमित नहीं रखना चाहते थे. इसलिए उन्होंने भागवात गीता का अवधी और खड़ी बोली में अनुवाद भी किया.
हनुमान प्रसाद पोद्दार और हरिवंश राय बच्चन के बीच हुए पत्राचार इस बात के साक्ष्य हैं कि दोनों लोगों के साहित्य सृजन के सरोकार समान थे. बच्चन ने 1960 में कल्याण के लिए ‘ईश्वर का आह्वान’ करने वाला एक गीत लिखा था. इसके बाद से बच्चन और पोद्दार निकटता और बढ़ी. उनके अच्छे संबंधों का कारण राधा बाबा थे, जिनसे बच्चन 1950 के दशक में दिल्ली में मिले थे. वह पोद्दार के मित्र और सहयोगी थे.
राधा बाबा ने दी प्रेरणा: बच्चन ने इस बात का ज़िक्र किया है कि राधा बाबा के सपने ने ही उन्हें भगवद्गीता को रामचरितमानस की अवधी भाषा में अनूदित करने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद ‘जन गीता’ प्रकाशित हुई. 1958 में अपने छोटे बेटे अजिताभ के बारहवें जन्मदिन पर बच्चन इस ग्रंथ को राधा बाबा को सुनाने के लिए गोरखपुर आए थे. यहां उनकी मुलाकात चिम्मनलाल गोस्वामी, राम भाई और माधव शरण से हुई थी. ये सभी लोग गीता प्रेस से जुड़े हुए थे. इन लोगों ने ‘जनगीता’ में कुछ अशुद्धियों का ज़िक्र किया था, जिन्हें बच्चन साहब ने दुरुस्क र दिया और अगला संस्करण शुद्धि के साथ प्रकाशित हुआ.
खड़ी बोली में गीता का अनुवाद: 1964 में जब वे संशोधित ‘जन गीता’ को राधा बाबा को उपहार में देने के लिए गए, तो राधा बाबा ने बच्चन को गीता का खड़ी बोली में संस्करण तैयार करने को कहा. बच्चन साहब ने इस बात का ज़िक्र किया है कि उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया और जनवरी 1966 में गीता का खड़ी बोली में अनुवाद पूरा कर लिया.