इस बार मानसून करीब सात दिन देर से आया

GO GORAKHPUR:अंततः बुधवार को गोरखपुर महानगर में बरसात हो ही गई.पसीना पोंछते, गर्मी से बेहाल नगरवासियों को थोड़ी राहत जरूर मिली. मौसम विभाग ने कई बार उम्मीद जताई थी लेकिन उसकी भविष्यवाणी कई बार झूठी साबित हुई. इस तरह बादलों की राह निरेखते अषाढ़ बीत गया. लेकिन यहां अब जाकर मानसून पहुंचा. समान्य से इस बार यह तकरीबन एक सप्ताह लेट है. 4 जुलाई से श्रावण मास शुरु होने वाला है. मतलब यह कि अषाढ़ बीत गया और बारिश हुई ही नहीं. खेती किसानी और बागवानी पर इसका बुरा असर पड़ा है. 
मौसम विशेषज्ञ कैलाश पांडेय ने बताया कि आमतौर पर पूर्वांचल में 19-20 जून तक मानसून की आमद हो जाती है. इस बार मानसून करीब सात दिन देर से आया है. मानसूनी हवाएं पूर्वांचल तक पहुंच गई हैं. इन हवाओं के साथ गहरे काले बादल भी पूर्वी यूपी का रुख कर चुके हैं. अगले दो दिनों में और बारिश होने का अनुमान है.


कैसे संभलेगी किसानी
पूर्वांचल में धान की खेती एक प्रमुख फसल है. इसके लिए गेहूं की कटाई, मड़ाई के साथ ही तैयारी शुरू हो जाया करती है. खेतों की जुताई करके मिट्टी तैयार होने के लिए छोड़ दी जाती है. इन खेतों में धान की रोपाई के वास्ते जून माह की शुरूआत में किसान खेतों में जरई डाल देते हैं. सुधी किसानों ने यह सब तो किया लेकिन मौसम ने उनका साथ नहीं दिया. पारा 42 डिग्री के उच्चतम मान तक गया. इसका नतीजा यह रहा कि उन्हें धान के बेहन को जिंदा रखने के लिए सिंचाई पर ज्यादा खर्च करना पड़ा. डीजल और बिजली पर ज्यादा व्यय करना पड़ा. हालांकि देहाती इलाकों में बिजली की आपूर्ति संतोषजनक नहीं रही. निष्कर्षतः शुरुआती दौर में ही बजट गड़बड़ हो गया है. समय से मानसून आया होता तो तस्वीर कुछ बदली होती.
फल की पैदावार पर असर
गोरखपुर में बागवानी का प्रमुख स्थान है. फलों में केला, आम, कटहल प्रायः सभी तरह के फलों की खेती अब किसान प्रमुखता करने लगे हैं. लीची की बाग ने भी अपनी जगह बना ली है. इन सभी तरह के फलों की पैदावार पर मौसम की मार पड़ी है. 
सिसवा क्षेत्र में लीची की बागवानी करने वाले राजबली यादव बताते हैं कि इस बार लीची की पैदावार में 50 प्रतिशत की गिरावट आंकलित है. उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा है. 
इसी तरह आम की पैदावार भी प्रभावित हुई है. बताते चलें कि उत्तर प्रदेश का पूरे देश में आम के फलोत्पादन में प्रथम स्थान है. जिले की बात करें तो लखनउ टाप पर है. गोरखपुर भी आम उत्पादन में प्रमुख स्थान रखता है. यहां का गौरजीत आम की दूसरी प्रजातियों में नंबर एक पर है. परंतु मौसम के दगा देने से आम के फल प्राकृतिक तौर पर डालियों पर नहीं पक सके. तिजारत करने वालों ने उन्हें कतृमतौर पर पकाया और बेंच रहे हैं.
सब्जियां महंगी
इस बार नेनुआ बाजार में लंबे समय से अपनी मौजूदगी बनाए हुए है. 20 रूपये से लेकर 50 रूपये किलो तक इसका रेट देखा गया. परंतु जून माह की गर्मी और लू ने इसकी जान लेली. सर्वाधिक खेतों में नेनुआ और लौकी की लताएं इस कदर सूख गई जैसे उन्हें किसी ने जला डाला हो. इसकी वजह से पैदावार, मांग और दर में काफी अंतर दिखाई पड़ने लगा है.  
सब्जी थोक भाव (रुपये प्रति किलो)  फुटकर भाव (रुपये प्रति किलो)
टमाटर              60-70                                 80-100
परवल         40-50                                 70-80
भिंडी                30-40                                 50-60
करेला        30-40                                 50-60
नेनुआ        30-40                                 50-60
लौकी       30-40                                         40-50
सतपुतिया      35-40                                        50-60
बैंगन          25-30                                        40-60
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By गो गोरखपुर

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