GO GORAKHPUR:जुलाई निकट है. सरकारी महकमें में पौधरोपण की तैयारियां चल रही हैं. इस बीच खबर आई है कि सरकार पौधरोपण कार्यक्रम में जिन पौधों को तरजीह देने जा रही है उसमें सहजन प्रमुख है. समझा जा रहा है सरकार ने यह फैसला इसके औषधीय तथा पोषक तत्वों के आधार पर लिया है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में हरीतिमा बढ़ाने एवं यहां के पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए पौधरोपण का जो काम शुरू करवाया, उसमें सहजन को भी प्राथमिकता दी गई है. इसकी वजह है कि सहजन का बिरवा सिर्फ एक वनस्पति ही नहीं बल्कि तमाम औषधीय खूबियों से भी भरपूर है.
योजना है कि जो जिले विकास के मानकों पर पिछड़े हैं वहां हर परिवार को सहजन के कुछ पौध लगाने को भी प्रेरित किया जाए. दरअसल अगर लोग सहजन की खूबियों को जान जाएं और उनका सेवन करें, तो यह कुपोषण के खिलाफ एक सफल जंग होगी.
केंद्र सरकार ने भी सहजन की खूबियों की वजह से राज्यों को निर्देश दिया है कि वे प्रधानमंत्री पोषण योजना में सहजन के साथ स्थानीय स्तर पर सीजन में उगने वाले पोषक तत्वों से भरपूर पालक, अन्य शाक- भाजी एवं फलियों को भी शामिल करें.
सहजन में पोषक तत्व- मात्रा प्रति100 ग्राम
ऊर्जा 37 किलो कैलोरी, प्रोटीन 2.1 ग्रा, वसा 0.2 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 8.53 ग्राम, फाइबर 3.2 ग्राम, कैल्शियम 30 मि.ग्रा, आयरन 0.36 मि.ग्रा, मैग्नीशियम 45 मि.ग्रा, फास्फोरस 50 मि.ग्रा, पोटैशियम 461 मि.ग्रा, सोडियम 42 मि.ग्रा, जिंक 0.45 मि.ग्रा कॉपर 0.084 मि.ग्रा, मैंगनीज 0.259 मि.ग्रा, सेलेनियम 0.7 माइक्रोग्राम, विटामिन सी 141 मि.ग्रा, थायमिन 0.053 मि.ग्रा, राइबोफ्लेविन 0.074 मि.ग्रा, विटामिन बी6 0.12 मि.ग्रा, फोलेट 44 माइक्रोग्राम, विटामिन ए 4 माइक्रोग्राम
पोटैशियम क्यों जरूरी
इसमें पोटैशियम की मात्रा सर्वाधिक पायी जाती है. पोटैशियम शरीर विज्ञान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह एक खनिज तत्व है जो हमारे शरीर के लिए आवश्यक होता है और कई महत्वपूर्ण कार्यों में सहायता प्रदान करता है. यहां हम उसके कुछ प्रमुख भूमिकाओं का विवरण आपको दे रहे है.
शारीरिक कार्यः पोटैशियम उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है. यदि शरीर में इसकी मात्र सही हो तो यह हृदय के नियमित कार्यों को सुनिश्चित करता है और हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है.
मांसपेशियों की कार्यप्रणालीः पोटैशियम मांसपेशियों की कार्यप्रणाली के लिए आवश्यक होता है. यह मांसपेशियों की सम्पीड़नशीलता और संपीड़न स्थिरता को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे मांसपेशीय क्रियाविधि सही से सुनिश्चित होती है.
न्यूरोमस्कुलर कार्यः पोटैशियम न्यूरोमस्कुलर कार्य को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह संवेदनशीलता, उत्तेजना और संक्रिया को बनाए रखने में मदद करता ह
औषधीय गुणः सहजन के पत्तों, फूलों, बीजों और तने का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में विभिन्न रोगों के इलाज के लिए किया जाता है. यह पेट संबंधी समस्याओं, आंत्र विषाक्तता, शरीर की कमजोरी, शरीर में इन्फेक्शन, चर्मरोग, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियों के इलाज में मददगार सिद्ध होता है.
पाचन क्रिया में सुधारः सहजन में पाचन क्र्रिया को सुधारने और अपच को कम करने वाले गुण होते हैं. इसका नियमित सेवन पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है.
गौरतलब है कि राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण में रक्ताल्पता 2019-2020 के मुताबिक देश के करीब 32 फीसद बच्चे अपनी उम्र के मानक वजन से कम (अंडरवेट) हैं. करीब 67 फीसद बच्चे ऐसे हैं जो अलग-अलग वजहों से एनीमिया (खून की कमी) से पीड़ित हैं. अपनी खूबियों के नाते ऐसे बच्चों के अलावा किशोरियों, मां बनने वाली महिलाओं के लिए सहजन वरदान साबित हो सकता है.
सहजन की खेती कैसे करें
सहजन को सीधे बीज और पौध से लगाया जा सकता है. लेकिन लगाने का उचित तरीका यह है कि आप पहले इसकी नर्सरी तैयार कर लें या फिर किसी मान्यता प्राप्त नर्सरी से इसके पौधे खरीदें. सहजन के पौधे लगाने से ठीक एक महीने पहले गड्डो को तैयार कर लेना चाहिए. उसके बाद तैयार गड्डो में जुलाई-सितम्बर के मध्य सहजन के पौधों की रोपाई कर देनी चाहिए.
सहजन के पौधों का प्रबंधन
रोपाई के बाद जब सहजन के पौधों लगभग 75 सेंमी. के हो जाये तब पौधों के ऊपरी भाग की छटाई कर देनी चाहिए. इससे पौधों में अधिक शाखाएं निकलकर आएगी. पौध रोपाई के करीब तीन महीने बाद 100 ग्राम यूरिया , 100 ग्राम सुपर फास्फेट, 50 ग्राम पोटाश की प्रति गड्ढा के हिसाब से डालें. फिर तीन महीने बाद 100 ग्राम यूरिया प्रति गड्ढा डालें. इसके बाद आवश्यकतानुसार पौधों का उचित प्रबंधन करें.
सहजन का एक पौधा 4 से 5 वर्षो तक पैदावार देता रहता है. हर साल फसल प्राप्त करने बाद पौधों को जमीन से एक मीटर ऊंचाई से छटाई कर देनी चाहिए. गुणवत्ता और खेती की अन्य पहलुओं के बारे में अधिक जानकारी प्रदान कर सकते हैं.
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