शुक्रवार को सिपाही की पिटाई का मामला विधान परिषद में उठा, सभापति ने दिए आदेश
Gorakhpur: विधान परिषद में शुक्रवार को सिपाही की पिटाई का मामला उठाया गया जिसके बाद डॉ. अनुज सरकारी के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया गया. भाजपा एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने डॉक्टर दंपत्ति और उनके सहयोगियों द्वारा सिपाही की निर्मम पिटाई का मामला उठाया और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की. एमएलसी ने सदन में इस घटना का विस्तार से जिक्र करते हुए कई साक्ष्य भी दिखाए. विधान परिषद सभापति ने इस प्रकरण को बेहद गंभीरता से लेते हुए डॉक्टर के विरुद्ध सुसंगत धाराओं में एफआइआर दर्ज करने का निर्देश दिया.
एमएलसी ने सभापति को सिपाही की लहूलुहान तस्वीर और उसकी पत्नी द्वारा पुलिस को दी गई तहरीर की छायाप्रति देते हुए कहा कि सिपाही के शरीर पर बर्बरता और अमानवीयता के निशान, उसे नंगा करके मारपीट कर बेहोश करने की मेडिकल रिपोर्ट इस जघन्य घटना के सबूत हैं जिन्हें किसी भी हालत में नकारा नहीं जा सकता .
सभापति ने साक्ष्यों की समीक्षा करने के बाद यह निर्णय दिया कि यह घटना अत्यंत गंभीर प्रकृति की है और यह सिपाही के शरीर पर अत्याचार और क्रूरता को दर्शाती है. उन्होंने डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया.
एमएलसी ने बताया कि उन्होंने हाल ही में उप मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक को पत्र लिखा था. पत्र में उन्होंने आरोपी डॉक्टर और उसकी पत्नी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि डॉक्टर अपनी पत्नी माधवी के साथ मिलकर अपने निजी अस्पताल में गैरवाजिब वसूली करते हैं और मानकों के विपरीत काम करते हैं.
डॉक्टर की पत्नी माधवी सरकारी बीआरडी मेडिकल कॉलेज में विभागाध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं. एमएलसी ने माधवी के सरकारी पद पर रहते हुए अपने पति के साथ निजी प्रैक्टिस में शामिल होने को संज्ञेय अपराध बताया और इस मामले में कार्रवाई की मांग की.
उन्होंने आरोप लगाया कि डॉक्टर दंपती ने अपने प्रभाव और धन का इस्तेमाल करके सिपाही प्रकरण में कार्यवाही को धीमा कर दिया और झूठी रिपोर्ट तैयार करवाकर मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया. एमएलसी ने बताया कि उनके पत्र के आधार पर स्थानीय स्तर पर की गई जांच में डॉक्टर को क्लीन चिट दे दी गई.
उन्होंने इस जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने उप मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस मामले की जांच कराने की मांग की थी, तो शासन के आला अधिकारी की बजाय स्थानीय स्तर पर इसकी जांच क्यों कराई गई. उप मुख्यमंत्री ने सदन में, इस मामले की जांच महानिदेशक स्तर के अधिकारी से समय सीमा के भीतर कराने की घोषणा की.
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