Advocate Brij Bihari Lal Srivastava
बृज बिहारी लाल श्रीवास्तव, वरिष्ठ अधिवक्ता

Gorakhpur Permanent Court verdict: बीमा कंपनियों की मनमानी नई नहीं है. अक्सर देखा जाता है कि बीमा की बिक्री करते समय वे तमाम दावे करती हैं, लेकिन किसी विपरीत परिस्थिति में अक्सर ग्राहक के साथ न्याय नहीं करतीं. गोरखपुर में एक ऐसे ही मामले में स्थाई लोक अदालत ने ऐसा फैसला दिया है जो बीमा कंपनियों के खिलाफ नजीर बनेगा. बीमा की खरीद करने वाले युवक की आकस्मिक मौत के बाद बीमा कंपनी ने पॉलिसी की धनराशि देने से इनकार कर दिया. इस मामले में बीमा कंपनी का तर्क था कि पॉलिसी खरीदने के तीन दिन बाद ही धारक की मौत हो गई. स्थाई लोक अदालत ने वादी की तरफ से मामले की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता बृज बिहारी लाल श्रीवास्तव और ऋषि श्रीवास्तव के तर्कों से सहमति व्य​क्त की और बीमा की आपत्तियों को आधारहीन करार दिया.

स्थाई लोक अदालत के चेयरमैन गिरिजेश कुमार पाण्डेय एवं सदस्य वेद प्रकाश त्रिपाठी व संगीता प्रकाश त्रिपाठी ने भारतीय जीवन बीमा निगम के विरुद्ध निर्णय दिया कि वह वादी बृजेश कुमार मिश्रा को उनके पुत्र अभिषेक मिश्रा की मृत्यु पर बीमा पालिसी की धनराशि तीन लाख 45 दिन के अंदर भुगतान करें. आदेश का अनुपालन न करने पर निर्णय की तिथि से नौ प्रतिशत ब्याज देय होगा. अदालत के समक्ष जंगल मातादीन ज्ञानपूरम कालोनी निवासी वादी बृजेश कुमार मिश्रा की ओर से वरिष्ठ आविक्ता बृज बिहारी लाल श्रीवास्तव एवं सहायक आविक्ता ऋषि श्रीवास्तव का कहना था कि वादी के पुत्र अभिषेक मिश्रा ने 11 नवम्बर 2019 को तीन लाख रुपए की बीमा पालिसी विपक्षी बीमा कम्पनी से लिया था. बीमा के समय उसकी उम्र 29 वर्ष थी. बीमा प्राप्त करते समय बीमा धारक स्वस्थ था और बीमा कम्पनी बीमा धारक के अच्छे स्वास्थ्य से संतुष्ट होकर बीमा स्वीकार किया था. 14 नवम्बर 2019 को लखनऊ स्थित मेदांता हॉस्पिटल में बीमा धारक की चिकित्सा के दौरान मृत्यु हो गई.

By गो गोरखपुर

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