GO GORAKHPUR: गोरखपुर—फैजाबाद खंड स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से विधानपरिषद सदस्यता के लिए भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी देवेंद्र प्रताप सिंह ने कीर्तिमान रचते हुए चौथी बार जीत हासिल की है. देवेंद्र प्रताप को कुल 51699 वोट मिले. इस बार उनके पक्ष में डाले गए प्रथम वरीयता के मत ही निर्णायक साबित हुए जबकि पिछलीबार उन्हें द्वीतीय वरीयता के मतों की गणना के बाद विजयी घोषित किया गया था. सपा के करुणाकांत को 34244 वोट मिले. देवेंद्र प्रताप को प्रथम वरीयता के अंतिम 8वें राउंड में विजय मिली. एक लाख एक हजार 158 वैध वोटों की गिनती हुई.
जीत के लिए 50 फीसदी और एक वोट यानी 50580 वोट पाना जरूरी था. 5,655 वोट पाकर रजनीश पटेल तीसरे पायदान और 2912 वोट पाकर दिलीप कुमार गौतम चौथे नंबर पर रहे. पढ़े-लिखे 8065 स्नातक मतपत्र पर सही तरीके से चिन्हांकित नहीं कर पाए जिससे ये मत अवैध हो गए. 24 में से 6 प्रत्याशी 100 वोट भी नहीं पा सके.
गोरखपुर-फैजाबाद खंड स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से 2023 में हुए एमएलसी चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने वाले देवेंद्र प्रताप सिंह ने एक रिकॉर्ड भी बनाया है. इस सीट पर अब तक जितने भी परिणाम आए हैं, सभी द्वितीय वरीयता के मतों की गिनती के बाद ही आए. ऐसा पहली बार हुआ जब प्रथम वरीयता के मतों की गिनती से ही जीत-हार का फैसला हो गया. देवेंद्र सिंह की पिछली तीन जीत भी द्वितीय वरीयता के मतों से ही हुई थी. प्रथम वरीयता के मतों से जीतने के साथ इस सीट से सर्वाधिक बार एमएलसी रहने का रिकॉर्ड भी देवेंद्र सिंह के नाम ही दर्ज हुआ है.
1968 से चुनाव हो रहे हैं
स्नातक निर्वाचन की इस सीट पर 1968 से चुनाव हो रहे हैं. इस चुनाव से नजदीक से जुड़े लोगों का कहना है कि हर बार परिणाम के लिए द्वितीय वरीयता के मतों की गिनती करनी पड़ी थी. 1998, 2010 एवं 2017 में हुई देवेंद्र प्रताप सिंह की जीत में भी प्रथम वरीयता के मत जीत के जरूरी आंकड़े नहीं जुटा सके थे.
24 घंटे में ही हो गई मतों की गिनती
पिछले कई चुनावों में ऐसा पहली बार देखने को मिला जब 24 घंटे के भीतर ही मतगणना का काम पूरा हो गया. 2010 के चुनाव में 40 घंटे से अधिक, जबकि 2017 के चुनाव में 38 घंटे से अधिक समय तक मतगणना चली थी. इस बार गुरुवार की सुबह आठ बजे से मतगणना की प्रक्रिया शुरू हुई. बंडल बनाने एवं छंटाई में अधिक समय लगने से शाम पांच बजे के बाद मतगणना शुरू हुई और अगले दिन सुबह 6:30 तक संपन्न हो गई. इस तरह से प्रशासन करीब 22.5 घंटे में ही मतगणना संपन्न कराने में कामयाब रहा.
यह है नियम
स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी के चुनाव में मतगणना का नियम सामान्य से अलग होता है. कुल वैध मतों के 50 प्रतिशत से एक वोट अधिक पाने वाले को विजेता घोषित किया जाता है. सबसे पहले प्रथम वरीयता के मतों की गिनती की जाती है. यदि इस गिनती में जरूरी आंकड़ा पूरा हो गया तो मतगणना समाप्त कर दी जाती है. ऐसा न होने पर द्वितीय वरीयता के मतों की गिनती होती है. इसमें सबसे पहले कुल प्रत्याशियों में से सबसे कम मत पाने वाले प्रत्याशी को मतगणना से हटा दिया जाता है. उनके मतपत्रों में द्वितीय वरीयता के मत जिन प्रत्याशियों को मिले होते हैं, उनके खाते में जोड़ देते हैं. नीचे के क्रम से प्रत्याशियों को हटाने का सिलसिला तब तक चलता है जबतक जीत के लिए निर्धारित मत नहीं मिल जाते. यदि केवल एक प्रत्याशी के बचने तक भी जीत का आंकड़ा कोई नहीं पा सका तो बचे एकमात्र प्रत्याशी को विजेता घोषित कर दिया जाता है.
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