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Gorakhpur News:बिदका हाथी गंगा प्रसाद बीजेपी विधायक का

हाथी कइयों के पास पर लाइसेंस किसी के पास  नहीं
हाथी गंगा प्रसाद मुहम्मदपुर माफी में

GO GORAKHPUR:गोरखपुर के जिस मुहम्मदपुर माफी में बिदके हाथी ने तीन लोगों की जान ले ली. वह विधायक विपिन सिंह का हाथी गंगा प्रसाद है.वह बीजेपी से विधायक हैं.अब यह साफ हो गया है कि यह वही हाथी है जिसे विधायक के लोग वन विभाग के कब्जे से छुड़ा ले गए थे. 3 मौत के बाद मचे हड़कंप के बीच सामने आया कि इसी हाथी ने 13 जनवरी 2020 को अपने ही महावत शब्बीर (25) को पटककर मार डाला था.
गोरखपुर में हाथी के भड़कने या किसी की जान लेने का यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई बार यहां हाथियों ने लोगों की जान ली है. लेकिन हर बार मामला मैनेज हो जाता है.
हथियानसीनों के पास लाइसेंस नहीं
हैरानी की बात ये है कि वन विभाग और जिला प्रशासन को नहीं पता है कि गोरखपुर में कितने लोगों के पास हाथी हैं, न ही उसके लाइसेंस की जानकारियां हैं. साल 2018 में हुए सर्वेक्षण में शहर में 10 लोगों के पास 12 हाथी होने की पुष्टि हुई थी. लेकिन लाइसेंस किसी एक के पास भी नहीं मिला. उस वक्त शासन के निर्देश पर हाथी पालने वाले लोगों पर केस भी दर्ज कराया गया था. बावजूद इसके वन विभाग की मिलीभगत से हाथियों को पालने और शादी आयोजनों में कमाई का सिलसिला अभी भी जारी है.
गुरुवार को विधायक के हाथी से तीन लोगों की जान जाने के बाद विभाग मामले को मैनेज करने में जुटा है.
इस बीच पुलिस अधीक्षक उत्तरी मनोज कुमार अवस्थी का कहना है कि घटना के शिकार शवों का अंतिम संस्कार हो गया है. अगर कोई तहरीर मिलती है तो केस दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी.
क्या कहता कानून
वन्यजीव अनुरक्षण ​अधिनियम 1972(डब्ल्यूएलपीए) हाथी के साथ बैल,उंट,खच्चर,घोड़ा तथा गधा को यातायात के साधन के रुप में चिन्हित किया है.1977 में इस अधिनियम के तहत इन प्राणियों को अनुरक्षण की उच्च प्रा​थमिकता प्रदान की गई है,इसमें भी हाथी को अनुसूची —प्रथम में रखते हुए इसे वैधानिक स्वामित्व देने का प्राविधान किया गया है. यह स्वामित्व पैतृक या भेंट के रुप में हो सकता है. इसी नियम के तहत हाथी पालने के लिए निम्न नियमों का पालन करना होता है

  • हाथी लेने के बाद चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डेन से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होती है.
  • इसके लिए हाथी पालने वाले को आवेदन करना होता है.
  • फिर वन विभाग की टीम जांच कर अनापत्ति प्रमाण पत्र और लाइसेंस की प्रक्रिया आगे बढ़ाती है.
  • लाइसेंस न होने पर हाथी को कोर्ट के माध्यम से जब्त करने की कार्रवाई होती है.
  • हाथी की जांच में यदि उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं होती है तो उसे मथुरा और दुधवा वन रेंज भेजा जाता है.
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