इंद्रप्रस्थपुरम स्थित पीएचसी पर कोविड टीकाकरण अभियान की शुरुआत के अवसर पर मौजूद मुख्य अतिथि वीरेंद्र नाथ पांडेय, अस्पताल स्टाफ और स्थानीय लोग. |
Go Gorakhpur: भारतीय जनता पार्टी की महानगर इकाई के उपाध्यक्ष वीरेंद्र नाथ पांडे ने बृहस्पतिवार को कोविड-19 से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान का फीता काटकर शुभारंभ किया. एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि अब भी महानगर में बड़ी तादाद में ऐसे लोग हैं जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है. संभव है कि वे किसी दुविधा या भ्रम का शिकार हों.
इन्द्रप्रस्थपुरम स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर स्वास्थ्य कर्मियों, नागरिकों की उपस्थित के बीच उन्होंने कहा कि इस दुविधा की स्थिति की वजह अज्ञानता हो सकती है. अभी वैक्सीन कैंप लगाकर दी जा रही है. बाद में इसे डोर टू डोर लगाया जाना है. एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने स्पष्ट किया कि इसका कोई धार्मिक कारण नहीं है. बहुसंख्यकों में भी इसकी वजह अज्ञानता ही है. जब उनसे यह कहा गया कि महानगर के विभिन्न हिस्सों में स्वास्थ्य कर्मियों ने जी-जान लगाकर टीकाकरण में योगदान दिया, ऐसे में लोगों का टीकाकरण से बचे रह जाना स्वयं में सवालिया निशान है. उन्होंने कहा कि अपना समाज विविध रंगों वाला है. इसी तरह से लोगों की सोच भी अलग-अलग है. जिन लोगों ने टीके अभी तक नहीं लगवाए उसके पीछे की तमाम वजहों में से यह एक मुख्य वजह हो सकती है.
भारतीय जनता पार्टी की नगर इकाई के उपाध्यक्ष श्री वीरेंद्र नाथ पांडे की कही बात के आलोक में आइए हम कुछ प्रबुद्ध जनों की राय जानते हैं:-
सरवत जमाल जाने-माने शायर हैं. देश स्तर पर अपनी रचनाएं सुनाते हैं और लंबे समय तक पत्रकारिता और साहित्य की दुनिया से जुड़े हैं. सरवत जमाल कहते हैं कि सरकार ने जितना टीके के प्रचार पर जोर दिया उतना लोगों को एजुकेट करने पर संसाधन खर्च किया होता तो यह नौबत न आती. नुक्कड़ नाटक होते, बाअसर लोग, लोगों को कन्विंस करते तो नजारा दूसरा होता. उसने यह साबित करने में ज्यादा जोर लगाया कि उसके वहां हालात दूसरे देशों से बेहतर हैं. वे औरों से बहुत अच्छा कर रहे हैं. अशिक्षा, जागरूकता एक बड़ी समस्या है.
डॉ. भानु प्रकाश नारायण रेल अधिकारी रहे हैं. सेवानिवृत्ति के बाद वे समाजसेवा और लोगों की सेहत की बेहतरी से जुड़े कार्यों में लगे हुए हैं. वे एक्यूप्रेशर, कलर थेरेपी के अच्छे जानकारों में से हैं. डॉ. भानु कहते हैं कि कोविड टीकाकरण कैम्प का उद्घाटन अपने आप में दुविधा उत्पन्न करता है. वह भी ऐसी जगह पर उद्घाटन करना जहां टीकाकरण का कार्य पहले से ही चल रहा हो. हां, समस्या आती है तब, जब कोई व्यक्ति टीका लेने जाता है और उससे कहा जाता है कि पूर्व में लिया गया वैक्सीन इस केंद्र पर उपलब्ध नहीं है. आवश्यकता है सभी केन्द्रों पर वैक्सीन के सभी प्रकार उपलब्ध हों, ताकि आसानी से हर नागरिक के लिए वैक्सीन का डोज पूरा किया जा सके.
आनंद देव पांडे लंबे समय तक ग्राम प्रधान रहे. विज्ञान के विद्यार्थी रहे. मौजूदा समय में वह दवा के कारोबारी हैं. चिकित्सकों के बीच उनका आना-जाना है. वे “दुविधा” को नहीं मानते. उनका कहना है कि लोगों के बीच से कोरोना का डर खत्म हो गया है. जब तक बीमारी का खौफ था, जानें जा रही थीं, लोग सेंटरों पर लाइन लगाते थे, कहीं-कहीं डंडे भी खाए और टीके लगवाए. अब वही सरकार है, वही प्रशासन है और वही लोग हैं. चूंकि उनके बीच से डर खत्म हो गया इसलिए अब वे गाफिल हैं.