चालीस की उम्र में भी हृदय रोग की चपेट में
फातिमा अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. कीर्ति गौरव रायज़ादा ने बताया कि आज के समय में 30 और 40 की उम्र के लोगों में हृदय रोगों का खतरा बहुत तेजी से बढ़ रहा है. जोखिम के कारणों में अत्यधिक तनाव, अस्वस्थ्य जीवनशैली, हृदय रोगों का पारिवारिक इतिहास प्रमुख हैं.
दिल की हर हरकत पर रखें नज़र
कई मामलों में ब्लॉकेज बहुत ही चुपचाप तरीके से होता है. इसकी वजह से हृदय ठीक से काम नहीं करता है और समय के साथ यह अचानक होने वाले हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट की वजह बन सकता है. बीमारी का पता न चलने या बेहोशी जैसे लक्षणों से परिणाम बुरे हो सकते हैं. यही वजह है कि हृदय रोगों के लक्षणों के बारे में जानना बहुत ही जरूरी हो जाता है.
इन लक्षणों की अनदेखी मत करें
सीने में दर्द, सर्दी में पसीना आना और सीने में भारीपन महसूस होना जैसे शुरुआती लक्षणों के अलावा ज्यादातर मौकों पर लक्षण तब तक स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते हैं, जब तक हृदय संबंधी कोई गंभीर समस्या या स्ट्रोक न हो जाए. हृदय संबंधी अन्य समस्याओं से जुड़े अन्य लक्षणों में थकान महसूस करना, हृदय की धड़कन बढ़ जाना या कम हो जाना, सीढ़ियां चढ़ने के बाद सांस लेने में समस्या होना, बहुत ज्यादा थकान होना, धड़कन बढ़ना जिससे कार्डिएक एरिथमिया का संकेत मिलता है. समय से बीमारी का पता चलने से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं
समय समय पर ये जांच कराएं
हृदय रोगों से बचने के लिए समय-समय पर अपने ब्लड शुगर के स्तर की जांच कराते रहना चाहिए, खास तौर पर तब, जब कि आपके परिवार में इस बीमारी से पीड़ित लोगों का इतिहास हो. इससे आपको समय पर उचित कदम उठाने में मदद मिलेगी.
इन बातों का ध्यान रखना जरूरी
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वजन कम करने, ब्लड शुगर का स्तर कम करने और इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाने के लिए हर दिन करीब 30 मिनट कसरत करें.
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फाइबर से भरपूर सेहतमंद चीजें खाएं जैसे कि फल, सब्जियां, बीन्स, मोटे अनाज और मेवे. पैकेटबंद और प्रसंस्कृत खाने से बचें.
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धूम्रपान और एल्कोहॉल जोखिम की सबसे बड़ी वजहें हैं और इनसे बचना चाहिए.
हृदय रोग एक गंभीर समस्या है जिससे बचने के लिए समय पर जागरूकता और कार्रवाई की आवश्यकता है. इस लेख में हृदय रोगों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है. उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी.