Gorakhpur: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में शोध की गुणवत्ता को बढ़ावा देने और शिक्षकों तथा शोधार्थियों को बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) के प्रति जागरूक करने के लिए आगामी 30 जनवरी को “बौद्धिक संपदा अधिकार जागरूकता कार्यशाला” का आयोजन किया जा रहा है.
यह कार्यशाला विश्वविद्यालय का अनुसंधान और विकास प्रकोष्ठ और IPR प्रकोष्ठ की ओर से आयोजित की जा रही है, जिसे उत्तर प्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की गई है. कार्यशाला में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ व्याख्यान देंगे, जिनमें “बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR): एक अवलोकन”, “कॉपीराइट और प्रकाशन मुद्दे”, “उत्तर प्रदेश में भौगोलिक संकेत टैग: लाभ और हानि”, “पेटेंट सुरक्षा का मार्ग: फाइलिंग से ग्रांट तक के चरण” और “IPR प्रेरित अनुसंधान: एक अवलोकन” जैसे विषय शामिल हैं.
कार्यशाला में लगभग 200 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया है, जिनमें नेपाल के प्रतिभागी भी शामिल हैं. प्रतिभागियों में विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के संकाय सदस्य, पीएचडी शोधार्थी और स्नातकोत्तर छात्र शामिल हैं. इस अवसर पर माननीय कुलपति प्रो. पूनम टंडन अध्यक्षीय भाषण देंगी.
- केन्द्रीय विद्यालय कुशीनगर में शिक्षकों की भर्ती के लिए साक्षात्कार
- एम्स गोरखपुर ने रचा इतिहास, शहर का पहला प्लाज्मा एक्सचेंज सफल
- गोरखपुर बौद्ध संग्रहालय में राष्ट्रीय व्याख्यान श्रृंखला का समापन, 89 प्रतिभागी सम्मानित
विश्वविद्यालय में बौद्धिक संपदा अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए कुलपति प्रो. पूनम टंडन के नेतृत्व में कई प्रयास किए जा रहे हैं. पेटेंट या कॉपीराइट फाइल करने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए वित्तीय सहायता और विशेषज्ञ उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है. इस प्रावधान के तहत 40 से अधिक पेटेंट फाइल किए गए हैं, जिनमें से 25 से अधिक प्रकाशित हो चुके हैं. दो कॉपीराइट पंजीकृत किए गए हैं और आठ से अधिक प्रस्तुत किए गए हैं.
पिछले वर्ष भी विश्वविद्यालय ने 2 मार्च 2024 को IPR पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की थी. इस बार की कार्यशाला जैव प्रौद्योगिकी विभाग में आयोजित की जाएगी.