Gorakhpur: गोरखपुर शहर के एक आलीशान अपार्टमेंट जैमिनी पैराडाइज में ऑनलाइन जालसाजी का खेल पकड़ा गया है. मऊ पुलिस की सूचना पर उनके साथ पहुंची गोरखपुर की गुलरिहा पुलिस ने मेडिकल कॉलेज के बगल में स्थित उक्त अपार्टमेंट में 29 लोगों को हिरासत में लिया. यह गिरोह इस अपार्टमेंट के चार फ्लैट किराए पर लेकर ऑनलाइन गेमिंग पोर्टल से जालसाजी कर रहा था. ये फ्लैट छह माह पूर्व किराए पर लिए गए थे. यहां से पुलिस ने लगभग 10 लैपटॉप, कई दर्जन स्मार्ट फोन और भारी संख्या में सिम कार्ड बरामद किए हैं. जिन लोगों को पकड़ा गया है, वे बिहार व छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं.
मऊ में हुई एक जालसाजी के मामले को ट्रेस करते हुए पुलिस गोरखपुर पहुंची थी. गुलरिहा पुलिस के सहयोग से जब अपार्टमेंट में पहुंची तो वहाँ बड़े पैमाने पर ऑनलाइन जालसाजी का इंतजाम दिखा. कॉल सेंटर की तरह यहाँ व्यवस्था चलाई जा रही थी और लगभग 29 लोग यहाँ से हिरासत में लिए गए. उनसे पूछताछ की जा रही है.
प्रतिष्ठित सोसाइटी को बनाया ठिकाना: लोगों की नजर से बचने के लिए जालसाजों ने शहर के सबसे प्रतिष्ठित अपार्टमेंट में से एक जैमिनी पैराडाइज को ठिकाना बनाया था. यहां डॉक्टर, व्यापारी एवं समाज के अन्य वर्गो के प्रतिष्ठित लोग निवास करते हैं. माना जा रहा है कि एक अपार्टमेंट का किराया भी 25 हजार रुपये महीना से कम नहीं रहा होगा. फ्लैट को बाहर से बंद कर काम हो रहा था. आसपास के लोगों को इसकी भनक तक नहीं लगी.
इस घटना के बाद जैमिनी पैराडाइज सोसाइटी के सचिव सुजय कुमार सिन्हा ने सोसाइटी के चार फ्लैट 1205, 1005, 118 तथा 222 में पुलिस द्वारा की गई छापेमारी और यहां चल रहे ऑनलाइन ठगी के कारोबार को गंभीरता से लिया है. सोसाइटी के लोगों ने रविवार शाम को आपात बैठक की. सोसाइटी के पदाधिकारियों ने घटनाक्रम पर चिंता जाहिर करते हुए ऐसी गंभीर घटना दोबारा न हो, इसके लिए ठोस नियम बनाए जाने पर चर्चा की गई.
एफआईयू ने दिया था क्लू: सेंट्रल गवर्नमेंट के अंतर्गत काम करने वाली फाइनेंस इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू) देश भर के बैंक खातों की निगरानी करती है. किसी का खाता संदिग्ध मिलने पर उस जिले की पुलिस को अलर्ट किया जाता है. इसी निगरानी में मऊ का एक खाता संदिग्ध मिला था.
एफआईयू से मिले क्लू के आधार पर मऊ पुलिस ने जब खाताधारक से पूछताछ की तो पता चला कि उसने अपना खाता गोरखपुर के एक युवक को बेचा है. उसी को ट्रैक करते हुए पुलिस यहां पहुंची थी. इस खाते से जब लगभग 32 लाख रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ तो मामला पकड़ में आया. मऊ के व्यक्ति ने गोरखपुर के जिस व्यक्ति को खाता बेचा था, वह जालसाजी में उसका इस्तेमाल कर रहा था.