Jaunpur: जौनपुर की केराकत तहसील का डेहरी गांव इन दिनों चर्चा में है. यहां कई मुस्लिम परिवारों ने अपने नामों के साथ पारंपरिक हिंदू उपनाम जोड़कर एक सांस्कृतिक बदलाव शुरू कर दिया है. इन परिवारों ने अपने नाम में “दुबे”, “तिवारी”, “ठाकुर” और “कायस्थ” टाइटल जोड़कर लिखना शुरू कर दिया है. गांव के मुसलिम समुदाय की इस पहल ने एक नई बहस छेड़ दी है.
इस बदलाव के केंद्र में नौशाद अहमद हैं, जिन्होंने हाल ही में शादी के निमंत्रण पर अपना नाम “नौशाद अहमद दुबे” के रूप में छापा था. नौशाद का दावा है कि उनके पूर्वज हिंदू थे और उन्होंने यह कदम अपने वंश के प्रति सम्मान में उठाया है. नौशाद का मानना है कि सात पीढ़ी पहले उनके पूर्वजों में से एक लाल बहादुर दुबे ने इस्लाम धर्म अपना लिया था और अपना नाम बदलकर लाल मोहम्मद कर लिया था.
नौशाद की इस पहल के बाद अब वह अकेले नहीं हैं. सैय्यद शांडिल्य, अब्दुल्लाह दुबे, इरशाद पांडे, ठाकुर गुफरान और इसरार अहमद दुबे सहित अन्य ग्रामीणों ने भी अपने नामों में हिंदू उपनाम जोड़े हैं. वे इस प्रथा को अपने पूर्वजों के साथ फिर से जुड़ने और हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच सद्भाव को बढ़ावा देने के तरीके के रूप में देख रहे हैं.
उधर, कहा जा रहा है कि इन परिवारों के विदेशों में रहने वाले कुछ रिश्तेदारों को कथित तौर पर धमकियां मिल रही हैं. इसके बावजूद, नौशाद और अन्य लोग इस दबाव के आगे नहीं झुक रहे हैं और वे मजबूती के साथ अपने निर्णय पर कायम हैं.
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