Tiwaripur Mohalla History: गोरखपुर का मोहल्ला तिवारीपुर सात सौ साल पहले बसा था. मोहल्ले की नींव कैसे पड़ी, इसका तथ्यवार जिक्र डॉ. दानपाल सिंह ने अपनी किताब ‘गोरखपुर परिक्षेत्र का इतिहास’ में किया है.
डॉ. सिंह के मुताबिक तिवारीपुर को सतासी राजा होरी सिंह उर्फ मंगल सिंह ने 13वीं सदी की शुरुआत में बसाया. सतासी राजा विश्राम सिंह नि:संतान थे. उन्होंने अपने कुल को आगे बढ़ाने के लिए उनवल के होरी सिंह उर्फ मंगल सिंह को गोद लिया. होरी सिंह ने जब राजपाट संभाला तो उनका राजवंश के अन्य लोगों की ओर से कड़ा विरोध होने लगा. विरोध से बचने के लिए होरी सिंह ने गोरखनाथ मंदिर के पास ‘तिवारीपुर’ बसाया और वहीं से रहकर शासन करने लगे. यह और बात है कि ‘तिवारीपुर’ नाम बाद में पड़ा.
इस किताब के अनुसार, उन्होंने शासन कार्य की सहूलियत के लिए अपने कुलगुरु यानी सोहगौरा के कुछ तिवारी परिवार को आज के तिवारीपुर क्षेत्र की जागीर देकर बसा दिया. तिवारी जी लोग जब वहां बसे तो क्षेत्र का दायरा बढ़ने लगा और बहुत से और लोगों ने अपनी आशियाना वहां बना लिया. देखते ही देखते इलाके ने बस्ती का रूप ले लिया और अब यहां घनी आबादी है. चूंकि बसावट के मूल में तिवारी परिवार था, सो पूरी बस्ती का नाम तिवारीपुर पड़ गया, जिसे आज हम एक घने बसे मोहल्ले के रूप में जानते हैं. मोहल्ले की बेतरतीब बसावट उसके प्राचीन होने की तस्दीक है. मोहल्ले की विशिष्टता और अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां शासन व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए बाकायदा थाना स्थापित है, वह भी लंबे समय से.