खाद कारखाना |
Go Gorakhpur: गोरखपुर में निर्मित उत्पाद देश-विदेश में धूम मचा रहे हैं. दशकों बाद शुरू हुआ खाद कारखाना जहां देश के किसानों की जरूरत पूरी कर रहा है वहीं गैलेंट सरिया, अपनी गुणवत्ता से विकास कार्यों में भागीदार बन रहा है. शहर के इन दो बड़े उत्पादों के साथ ही गीडा में स्थित कई दूसरे ब्रांडों के उत्पाद बाजार में अपनी अलग पहचान रखते हैं. आइए, नजर डालते हैं शहर के इन ब्रांडों पर…
अपना यूरिया, सोना उगले
गोरखपुर में हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड के अत्याधुनिक प्लांट में रोजाना तीन हजार से लेकर 3,850 मीट्रिक टन यूरिया का उत्पादन हो रहा है. 8,600 करोड़ की लागत से स्थापित प्लांट में ‘अपना यूरिया, सोना उगले’ ब्रांड नाम से बन रही नीम कोटेड यूरिया की आपूर्ति पूर्वांचल ही नहीं प्रदेश से सटे बिहार समेत अन्य राज्यों में भी हो रही है.
गैलेंट सरिया, सीमेंट
गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) में उद्यमी चन्द्र प्रकाश अग्रवाल द्वारा स्थापित गैलेंट सरिया की धमक पूरे देश में है. पूर्वांचल के साथ ही गुजरात में भी इस सरिया की जबरदस्त मांग है. गैलेंट समूह के गुजरात के कच्छ व गोरखपुर के गीडा प्लांट से सालाना लगभग 10 लाख टन स्टील का उत्पादन होता है. चार हजार करोड़ के सालाना टर्नओवर वाले इन दोनों प्लांट में करीब पांच हजार कर्मचारी कार्यरत हैं. समूह की एक फ्लोर मिल भी है, जिसमें आटा, मैदा व सूजी का उत्पादन होता है. अब कंपनी सीमेंट का उत्पादन भी कर रही है. 150 करोड़ से स्थापित फैक्ट्री में हर साल 6 लाख टन सीमेंट का उत्पादन हो रहा है, जिसकी आपूर्ति गोरखपुर, बस्ती, देवीपाटन, अयोध्या और आजमगढ़ मंडल में हो रही है.
नाइन सेनेटरी पैड
गीडा में बनने वाले नाइन सेनेटरी पैड की देश-दुनिया में जबरदस्त डिमांड है. सस्ता और गुणवत्तायुक्त होने से इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. कंपनी नेशनल मीडिया के साथ मिलकर महिलाओं में सेनेटरी पैड के इस्तेमाल को लेकर विभिन्न प्रदेशों में जागरूकता के कार्यक्रम भी चला रही है.
बीएन डायर्स
गोरखपुर में बनने वाले टेक्सटाइल उत्पाद की भी अच्छी मांग है. बीएन डायर्स में बनने वाले कपड़े की अफ्रीकी देशों में काफी मांग है, सालाना 20 करोड़ रुपये से अधिक के कपड़ों का निर्यात इन देशों को किया जाता है.
अंकुर उद्योग
इंडस्ट्रियल एरिया में स्थापित अंकुर उद्योग में बनने वाले धागे की मांग भी कई देशों में है.
आईजीएल डिस्टिलरी
आईजीएल डिस्टिलरी में बनने वाले उत्पाद की खूबधूम है. कंपनी ने व्हिस्की, रम और वोदका के क्षेत्र में भी कदम रखा है. इसके उत्पाद पूर्वांचल ही नहीं, पंजाब और हरियाणा में भी बिक रहे हैं.
डैक फर्नीचर
डैक फर्नीचर ने विदेशों में भी जमाई धाक : गीडा में स्थापित फर्नीचर, प्लाई और माइका की फैक्ट्री में बने उत्पादों की कई देशों में बड़ी मांग है. डैक फर्नीचर की मांग का ही नतीजा है कि गीडा के बाद दूसरा फैक्ट्री आउटलेट लखनऊ में खोला गया है. इसके साथ ही फैक्ट्री में बने लकड़ी के दरवाजों की मांग नेपाल से लेकर आस्ट्रेलिया तक है. फैक्ट्री से हर साल 10 करोड़ से अधिक का माल विदेशों को निर्यात होता है.
टेराकोटा शिल्प
गोरखपुर के औरंगाबाद और आसपास के गांवों में बनने वाले टेराकोटा शिल्प के उत्पादों की मांग पहले भी रही है, लेकिन 2018 में एक जिला-एक उत्पाद योजना में शामिल किए जाने के बाद इसमें पंख लग गए हैं. टेराकोटा के उत्पाद तमाम ईकॉमर्स कम्पनियों के ऑनलाइन प्लेटफार्म पर भी बिक्री के लिए उपलब्ध हैं. मौजूदा समय में टेराकोटा शिल्पकार करीब एक हजार प्रकार के उत्पाद बना रहे हैं. टेराकोटा को जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग भी हासिल है. बैंकों से ऋण की सुविधा मिलने से शिल्पकार अपने उद्यम को विस्तार देने में सक्षम हो रहे हैं.
सीरिंज
कोरोना काल में वैक्सीनेशन को लेकर 0.5 एमएम के सीरिंज की मांग बढ़ी तो गीडा के हाइटेक और केयर इंडिया ने इसकी उपलब्धता सुनिश्चित की. इन दो फैक्ट्रियों ने केन्द्र सरकार को सात करोड़ से अधिक सीरिंज मुहैया कराई. दुनिया के 20 से अधिक देशों को यहां से सीरिंज भेजी गई.