Gorakhpur: संदिग्ध हालात में मौत की यह एक ऐसी कहानी है, जिसमें जांच ही तथ्यों पर पर्दा डालती दिख रही है. इस कहानी में शुरू से ही कई अनसुलझे सवाल हैं, जिनका सात माह बीतने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिल पाया है. अपने बड़े भाई की हत्या के मामले में मुख्य गवाह गंगेश पांडे मई 2024 की एक सुबह अपने घर से उस केस के बारे में बातचीत करने के लिए निकलता है. कुछ देर बाद ही वह घरवालों से फोन करके कहता है कि कोल्डड्रिंक पीने के बाद उसके सीने में दर्द हो रहा है. इसके बाद गोलघर जैसी भरी मार्केट में, बाइक से गिरकर उसकी मौत हो जाती है. पुलिस की जांच ने पहले इसे आत्महत्या बताया, लेकिन जब शरीर में जहर मिलने का खुलासा हुआ, तो आनन-फानन में एसआईटी गठित हुई. बाद में, एम्स के फॉरेंसिक विशेषज्ञ डॉक्टरों की मदद ली गई. फिर इस मामले में स्टेट मेडिको लीगल सेल की एंट्री हुई. अब दिसंबर में स्टेट मेडिको लीगल सेल की जो फ़ाइनल रिपोर्ट आई है, उसने गंगेश की ‘आत्महत्या’ की थ्योरी पर ही मुहर लगा दी है. साल खत्म होने के साथ ही, इस कहानी के किरदार और राज़ पर सदा के लिए पर्दा पड़ता दिख रहा है.
गंगेश के भाई का 2017 में हुआ था मर्डर, जंगल में ठिकाने लगाया शव
बात नवंबर 2017 की है. महेवा का रहने वाला योगेश पांडे प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करता था. उसकी दोस्ती लिटिल स्टार एकेडमी के डायरेक्टर राहुल राय से थी. कारोबारी दोस्ती में उसने राहुल को भी करीब 18 लाख रुपये उधार दिए थे. गंगेश की हत्या के बाद स्थानीय अखबारों में जो रिपोर्ट प्रकाशित हुईं थीं, उनके मुताबिक नवंबर 2017 के एक दिन राहुल राय ने योगेश से उधार लिए गए पैसे उसे लौटाने के लिए अपने स्कूल परिसर में बुलाया. योगेश जब स्कूल पहुंचा, तो वहां राहुल राय ने पूर्व नियोजित ढंग से अपने दो साथियों राहुल पांडे और राहुल यादव के साथ मिलकर योगेश पर हमला किया और उसकी हत्या कर दी. आरोपियों ने योगेश पांडे के शव को एक प्लास्टिक बैग में रखा और उसे एक वाहन में रखकर कैम्पियरगंज के राजाबारी गांव के करीब जंगल में ठिकाने लगा दिया.
पूर्व पार्षद के घर लगे सीसीटीवी कैमरे से खुला था हत्या का भेद
जंगल में अगले दिन शव मिला तो पुलिस की जांच शुरू हुई. योगेश के घर वालों ने राहुल के खिलाफ शिकायत दी. पुलिस ने जब लिटिल स्टार एकेडमी का सीसीटीवी फुटेज देखना चाहा तो कैमरे बंद मिले. प्रथम दृष्टतया यह लगा कि राहुल राय ने हत्या की साजिश को अंजाम देने के लिए कैमरे बंद करा दिए थे. पुलिस जांच में स्कूल के करीब पूर्व पार्षद संजय यादव के आवास में लगे सीसी कैमरे में योगेश पांडे को स्कूल में आते हुए देखा गया, लेकिन उसे वहां से निकलते नहीं देखा गया. योगेश की मोटरसाइकिल को राहुल राय का दोस्त खामपार, देवरिया निवासी राहुल पांडे ले जाते देखा गया. यह बड़ा साक्ष्य था. योगेश पांडे की पत्नी ने पुलिस को जानकारी दी कि राहुल ने कर्ज लिए गए पैसे वापस देने के लिए उसके पति को स्कूल बुलाया था. योगेश की पत्नी के इस बयान के आधार पर राहुल राय और राहुल पांडे को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इस वारदात में पीपीगंज क्षेत्र के धर्मपुरवा निवासी राहुल यादव भी हत्या में शामिल था. राहुल राय के पिता आरडी राय को भी हत्या की साजिश में कथित रूप से शामिल होने और सबूत नष्ट करने के प्रयासों के मामले में आरोपी बनाया गया था.
भाई की हत्या के मामले में गवाही देने के लिए आया था गंगेश
रामगढ़ताल क्षेत्र के महेवा का रहने वाला गंगेश, योगेश दत्त पांडेय का भाई था. वह भाई की हत्या के मामले में मुख्य गवाह था. मई 2024 में गंगेश अपने भाई की हत्या के मामले में गवाही देने के लिए दिल्ली से गोरखपुर आया था. गंगेश 11 मई की सुबह 10.30 बजे केस के संबंध में बात करने घर से निकला. एक घंटे बाद ही गोलघर में उसकी मौत हो गई. परिजनों की तहरीर पर 13 जून 2024 को इस मामले में आरोपियों पर केस दर्ज हुआ. पुलिस ने इसे ‘आत्महत्या’ बताने की कोशिश की, लेकिन फोरेंसिक रिपोर्ट से यह पुष्टि हुई कि गंगेश की मौत जहर से हुई. अपने भाई की हत्या के मामले में मुख्य गवाह गंगेश की ‘आत्महत्या’ की कहानी में कई सारे झोल दिख रहे थे. लिहाजा इस मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया. एसआईटी की शुरुआती जांच में भी जहर देने का संदेह जताया गया. लेकिन कहानी में ट्विस्ट यहीं से शुरू होता है. अगर पुलिस यह मान लेती कि गंगेश को जहर दिया गया था, तो प्रश्न होता कि किसने दिया? और अगर यह मानती कि गंगेश ने खुद जहर खाया, तो परिस्थितियां इसकी गवाही नहीं दे रही थीं.
स्टेट मेडिको-लीगल सेल ने माना, गंगेश ने खुद खाया जहर
इस प्रकरण में, हत्या-आत्मत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए एसआईटी ने एम्स के मेडिको-लीगल और फॉरेंसिक विशेषज्ञ डॉक्टरों की मदद ली थी. इसके बाद, पोस्टमार्टम और विसरा रिपोर्ट व वीडियोग्राफी समेत पूरी जानकारी स्टेट मेडिको लीगल सेल को भेजकर उनकी राय मांगी गई. स्टेट मेडिको लीगल सेल ने नवंबर में जो अपनी पहली रिपोर्ट दी उसमें उन्होंने गंगेश पांडेय की मौत के बाद के लक्षण को देखकर जहर पर सवाल उठाया और संदेह व्यक्त किया कि गंगेश ने खुद ही जहर खाया है. इस माह मेडिको लीगल सेल, लखनऊ की एक और रिपोर्ट आई है, जिसमें यह दावा किया गया है कि गंगेश ने जहर खुद ही खाया था.
मौत से पहले घरवालों को किया था फोन, कोल्डड्रिंक पीने की बात बताई थी
मई में घटना के बाद गंगेश के घरवालों ने बताया था कि गंगेश 10 मई को गवाही के लिए दिल्ली से आया था. गवाही नहीं हुई तो शनिवार सुबह 10:30 बजे गंगेश गवाही की तैयारी के लिए घर से वकील के पास जाने की बात कहकर निकला था. इसके बाद घर पर 11:40 बजे उसकी कॉल आई कि सीने में दर्द हो रहा है. इसके कुछ देर बाद कॉल आई कि गंगेश की मौत हो गई है. घर वालों ने यह बातें स्थानीय मीडिया को बताई थीं. अगर एसआईटी की तफ्तीश में यह तथ्य अनदेखा रह गया तो आखिर कयों?
मौत की कहानी के अनसुलझे पहलू
- परिवार ने गंगेश की मौत के पीछे जिन लोगों ने नाम लिए हैं, वे उसके भाई योगेश की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी भी हैं. उस मामले में गंगेश का प्रमुख गवाह होना क्या शक की सुई कहीं और नहीं ले जाता?
- अपने बड़े भाई की हत्या के मामले में कानूनी पैरवी में गंगेश सक्रियता से लगा था. ऐसे में अचानक वह आत्महत्या क्यों कर लेगा?
- शुरुआती फोरेंसिक रिपोर्ट और मेडिको लीगल सेल की रिपोर्ट के बीच मृत्यु के कारणों में इतनी विसंगति क्यों है? क्या इस पर संदेह किए जाने की जरूरत नहीं है?
- गंगेश के परिवार ने लगातार आरोप लगाए हैं कि उसकी हत्या की गई. पुलिस ने उनके आरोपों को दरकिनार क्यों किया? गंगेश की हत्या के मामले में पुलिस ने उन अरोपितों से क्या पूछताछ की?
- सबसे आखिरी और ज़रूरी सवाल यह कि मरने वाले के शरीर में जहर की पुष्टि हुई. जहर देने वाला अगर किसी सीसीटीवी कैमरे में कैद नहीं हुआ, तो क्या मान लिया जाना चाहिए कि उसने जहर खुद खाया है?
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