गोरखपुर में 1886 में जुबिली स्कूल की नींव रखी गई थी. अंग्रेजों द्वारा खोला गया गोरखपुर रीजन का यह पहला स्कूल था. 19वीं सदी में जब यह स्कूल खोला गया तो देश में अंग्रेजों का ही राज था. यहां के पहले प्रधानाचार्य और शिक्षक भी अंग्रेज ही थे. शुरुआत में यहां अंग्रेज कर्मचारियों के बच्चे पढ़ा करते थे. आजादी के बाद यह विद्यालय सरकार के नियंत्रण में आ गया. इसे सरकारी स्कूल का दर्जा मिला. यहां से पढ़कर निकले लोगों में कई नामी शख्सियतें शामिल हैं. फ़िराक गोरखपुरी ने इसी स्कूल में इंटर तक की शिक्षा ली थी.
शहर के लाखों लोगों की यादें इस स्कूल से जुड़ी हुई हैं. टीन एज में इस स्कूल के मैदान पर बिताया गया वक्त अब उन लोगों की स्मृतियों में है, लेकिन हमेशा ऐसा लगता है कि स्कूल के मैदान पर लौटते ही वे दिन वापस आ जाएंगे. स्कूल में कभी विद्वान शिक्षकों की एक ऐसी फौज थी जिसने एक से बढ़कर एक अच्छे नागरिक देश को दिए. इस विद्यालय से पढ़कर निकले लोगों अपने स्कूल के लिए हमेशा श्रद्धा का भाव बना रहता है. उनके युवापन की साथी इस विद्यालय की दर ओ दीवारें हमेशा उनके जेहन में बसती हैं.