महाकुंभ 2025
कहानी कुंभ की...
सभी फोटो: सोशल मीडिया, यूपी गवर्नमेंट
स्क्रिप्ट: तृप्ति श्रीवास्तव
महाकुंभ 2025 रविवार को मध्यरात्रि में शुरू हुआ. यह एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है.
इस वर्ष के महाकुंभ में एक दुर्लभ संरेखण है जो प्रत्येक 144 वर्षों में होता है.
कुंभ का पहला लिखित विवरण 7वीं सदी में चीनी यात्री Xuanzang के लेखन में मिलता है.
चंद्रगुप्त के दरबार में एक यूनानी दूत ने भी ईसा से 400 साल पहले इस त्योहार का उल्लेख किया था.
कुंभ मेला तब होता है जब बृहस्पति कुंभ राशि में और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है.
त्रिवेणी संगम के कारण प्रयागराज में कुंभ मेले का महत्व अधिक है.
माना जाता है कि देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन में 14वां रत्न अमृत कलश निकला था.
अमृत की रक्षा के लिए विष्णु ने मोहिनी का रूप धरा और अपने वाहन गरुड़ को कलश दिया.
घड़े के लिए संघर्ष हुआ तो अमृत की बूंदें प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में गिरी थीं.
इन स्थानों पर हर 12 साल में कुंभ मेला आयोजित किया जाता है.
कहानी खिचड़ी मेला की...