मैरियान बायोटेक का कफ सीरप सवालों के घेरे में

GO GORAKHPUR:अब नोयडा स्थित दवा बनाने वाली फैक्ट्री मैरियान बायोटेक का कफ सीरप सवालों के घेरे में है. प्रदेश सरकार की तरफ से अलर्ट जारी किया गया है.गोरखपुर की दवा मंडी में इसकी आपूर्ति की आशंका से स्थानीय ड्रग प्रशासन छानबीन में लग गया है.
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, उप्र.(एफएसडीए) के उप आयुक्त एके जैन ने सभी ड्रग इंस्पेक्टरों को इन कफ सिरपों की निरंतर निगरानी के निर्देश दिए हैं. सिरप मिलने पर सैंपल लेकर जांच के लिए भेजने को कहा गया है.
मैरियान बायोटेक के कफ सीरप की गुणवत्ता पर उजबेकिस्तान की सरकार की तरफ से उस समय सवाल उठा जब इस सीरप के इस्तेमाल से वहां के 18 बच्चों की जान चली गई. इससे पहले हरियाणा की कंपनी मेडेन फार्मास्यूटिकल लिमिटेड की ओर से बनाए गए चार कफ सिरप के इस्तेमाल के बाद गांबिया में बच्चों की मौत की खबर आई थी.

पूर्वांचल की सबसे बड़ी दवाओं की थोक मंडी भालोटिया मार्केट है. यहां से दवाओं की सप्लाई पूर्वांचल से लेकर नेपाल और बिहार तक में होती है. मार्केट में दवाएं लखनऊ से लेकर हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब से आती हैं. ऐसे में यह अंदेशा है कि भालोटिया मार्केट में भी मैरियान बायोटेक की ओर से बनाए गए कप सिरप आए होंगे.

ऐसे में भालोटिया मार्केट में विशेष निगरानी रखते हुए इस कंपनी का काम करने वाले दवा व्यापारियों से जानकारी ली जा रही है. आदेश है कि अलग-अलग बैच में अगर दवाएं आई हैं तो सभी बैच के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे जाएं, जिससे दवाओं की आपूर्ति जल्द से जल्द रोकी जाए.

ड्रग इंस्पेक्टर जय सिंह के मुताबिक जांच के निर्देश मिले हैं. पता किया जा रहा है कि इन दवाओं का काम भालोटिया मार्केट में कौन-कौन करता है, जिससे की दवाओं का सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा जा सके.

आपकों पता है कि गांबिया के बाद अब उज्जबेकिस्तान ने भारत में निर्मित कफ सिरप पर संदेह जताया है. यह कफ सिरप गाजियाबाद में बना था. आशंका है कि कफ सीरप में इथायलीन ग्लाइकाल का इस्तेमाल किया गया है. यह एक विषैला तरल है.दवा विक्रेता समिति के महामंत्री आलोक चौरसिया ने दवा विक्रेताओं से अपील की है कि अगर यह सिरप आए हैं तो इसकी जानकारी विभाग को जरूर दें.  

 
दवा व्यापारी प्रियांशु की गतिविधियों से थे अंजान
इस बीच कानपुर में नकली दवा बनाकर बेचने के आरोप में पकड़े गए प्रियांशु चौहान की गतिविधियां प्रकाश में आई हैं.इससे यहां के दवा व्यापारी अंजान थे. हालांकि गैंगस्टर की कार्रवाई के बाद चर्चा में आए प्रियांशु ने कुछ दवा व्यापारियों से संपर्क करने कोशिश जरूर की थी लेकिन वह अभी दवा की सप्लाई नहीं कर पाया था.
 
बताया जा रहा है कि वह धीरे-धीरे जिले में नेटवर्क बनाने में जुटा था, लेकिन चार माह पूर्व पकड़ी गई फेंसिडिल सिरप की वजह से उसने अपना हाथ पीछे खींच लिया. अगर फेंसिडिल कफ सिरप पकड़ी नहीं गई होती तो वह अपने दवाओं को अब तक जिले में बेचना शुरू कर देता.
 
यह भी बताया जा रहा है कि सिरप पकड़े जाने के बाद उसने दवाएं नहीं भेजीं. हालांकि पहले उसने, इसके लिए अपने सगे भाइयों को तैयार कर लिया था. इस काम के सिलसिले में उसने कुछ दवा व्यापारियों से मुलाकात भी की थी.
 
बता दें कि कानपुर के रतनलाल नगर में अपनी पत्नी और भाइयों के साथ मिलकर प्रियांशु नकली दवा बनाकर बेचने का काम करता था. इस मामले में कानपुर पुलिस ने प्रियांशु सहित आठ लोगों को पकड़कर उनके खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई की है. प्रियांशु, गोरखपुर के कृष्णानगर का निवासी है.

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By गो गोरखपुर

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